Friday, September 30, 2011

खुदा शायद मुझसे नाराज़ सा है...

उससे बात नहीं होती तो ऐसा महसूस होता है रोमिल 
खुदा शायद मुझसे नाराज़ सा है...

रोमिल बार-बार यह सोच कर डाकिए से मिलता हूँ
कहीं उसका पैगाम आया तो नहीं है...
यह सोच कर रात में घर के बाहर दिया जला देता हूँ
कहीं वोह मेरे घर के बाहर से निकला तो नहीं है...

Thursday, September 29, 2011

बस जिंदा रहने के पैमाने बदल जाते हैं.

वक़्त के साथ हमराज़ बदल जाते हैं
हर एहसास बदल जाते हैं
किसी के बिछड़ने से कोइए मर नहीं जाता
बस जिंदा रहने के पैमाने बदल जाते हैं.

Wednesday, September 28, 2011

यहाँ जो डूब जाता हैं फिर उभरता नहीं...

क्यों अपनी डूबी हुई ज़िन्दगी का किनारा तलाशते हो रोमिल
यह मोहब्बत-ए-सागर हैं, यहाँ जो डूब जाता हैं फिर उभरता नहीं...

Tuesday, September 27, 2011

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी तो सारी कटी दुखों में रोमिल,
आखिरी वक़्त क्या ज़िन्दगी-ए-हालात पर रंज करे!

#रोमिल

Monday, September 26, 2011

यही जो लोग रोमिल तुझे अपने ख़ास लगते हैं

यही जो लोग रोमिल तुझे अपने ख़ास लगते हैं
यही तो मुझको बदनाम करते हैं...
***
जो तुम्हारी नज़रों में नेकी-ए-खुदा बनते हैं
यही तो मासूमो को बुरा बनाया करते हैं...
***
शराफत का पहन रखा हैं जिन्होंने चोला
यही तो मुझसे बुरी बात किया करते हैं...
***
इत्तेफाक की बात हैं या उनकी साज़िश
जब भी हम गुनेहगार होते हैं
हाथों के निशान इनके ही मिला करते हैं...

#रोमिल

Saturday, September 24, 2011

गम मेरे आस -पास ही रहता है

ख़ुशी की खबर मुझे चुपके - चुपके सुनाया करो रोमिल,
गम मेरे आस -पास ही रहता है,
कहीं भागा न चला आये!

#रोमिल

Friday, September 23, 2011

जुबान से उसको क्या सुनाये हाल-ए-दिल

जुबान से उसको क्या सुनाये हाल-ए-दिल रोमिल
सुना है मोहब्बत वाले नज़रों से हाल-ए-दिल पढ़ लेते है...

#रोमिल अरोरा

Thursday, September 22, 2011

फिर दीवानेपन की हसरत जाग रही हैं

फिर दीवानेपन की हसरत जाग रही हैं
सच पूछो तो मोहब्बत जाग रही हैं...
***
हसीनो का तो काम होता हैं जलाना
सच पूछो तो परवाने की जलने की तमन्ना जाग रही हैं...
***
ऐसा कहाँ कोइए मिला जो दर्द न दे
सच पूछो तो दर्द को फिर अपनाने की आरज़ू जाग रही हैं...
***
चाहत तो कहती हैं कि सब कुछ लूटा दूं रोमिल 
बरसों से जो खामोश थी ख़ामोशी जाग रही हैं...

फिर दीवानेपन की हसरत जाग रही हैं
सच पूछो तो मोहब्बत जाग रही हैं...

#रोमिल राज

Wednesday, September 21, 2011

मेरी ज़िन्दगी को मजबूरियों का घर मत कहो

मेरी ज़िन्दगी को मजबूरियों का घर मत कहो
यह ज़िन्दगी है मेरी, इसे सजा मत कहो.
~
छोड़ जाते है सब मेरा साथ, मेरी मजबूरियों की वजह से
तुमको खुदा की कसम है किसी को भी बेवफा मत कहो.
~
हूँ अपनों की नज़र में निकम्मा-नाकारा
तुम मेरे अपनों को गलत मत कहो.
~
जो हँसना है मुझपर हंस लो
जो कहना है मेरे सामने कह लो
मेरे पीछे मुझे बुरा मत कहो.
मुझ पर हंसा मत करो रोमिल...
मुझ पर हंसा मत करो रोमिल...

#रोमिल अरोरा

Tuesday, September 20, 2011

मेरे आंसूं को थोडा थम जाने दो!

अभी बहुत बरसात हो रही है तुम कहाँ जायोगी,
भीग जायोगी,
मेरे आंसूं को थोडा थम जाने दो!

Monday, September 19, 2011

roz hum khud se takrar karte hai

Dedicated to you...
*****
roz hum khud se takrar karte hai
kyun hum us bewafa se itna pyar karte hai

Itne zakhm diye tune aye khuda
aakar hum tere dar par kyon ibadat baar-baar karte hai

mujhe maloom hai iska anzaam kya hoga
lootane ke liye hum fir mohabbat ka aagaz karte hai

na mujhe dekh apnepan ki nazaron se
jo apne hote hai wahi qatal-e-aam karte hai

aur yeh keh kar maine usse tauba kar li romil
kya daulat wale kabhi garibon se pyar karte hai...

kash kuch pal uska mehmaan hota...

kash kuch pal uska mehmaan hota
main bhi apni qismat ka qadardaan hota

woh apna naqab hata kar mujhse milti
main bhi nazaron ka thoda beimaan hota

simta leta usko apni baahon mein
neeche zameen aur upper neela aasmaan hota

reh-reh kar baarish ki boondein gir rahi hoti
khuda bhi apna milan dekh kar khush hota

ajeeb tarah se un khoobsurat palon ka basar hota romil
har saans mein sirf uska naam hota...


kash kuch pal uska mehmaan hota...

Sunday, September 18, 2011

अपने आपसे शिकायतें कैसी?

जिम्मेदारिया हो, चाहे मजबूरिया
कुछ भी हो रोमिल
जिंदा तो रहना ही हैं तुझे
फिर अपने आपसे शिकायतें कैसी?

सलीका

जुदा होने का सलीका भी नहीं सीखा उसने रोमिल
जाते - जाते खुदा हाफ़िज़ तो कह जाता!

Saturday, September 17, 2011

Mumkin Hai - Bol (2011)

~ tere liye ~

dedicated to you!!!


Mumkin hai, mumkin hai bahaar mumkin hai
Zindagi mein likha
Mumkin hai, mumkin hai bahaar mumkin hai
Zindagi mein likha
Khwahishon ka karaar, mumkin hai
Ik nayi parwah, mumkin hai ho
Mumkin hai, mumkin hai bahaar mumkin hai
Zindagi mein likha

Justuju rang layi hai kucch iss tarah
Dil ki har aarzoo muskuraane lagi
Aasman meherbaan ho gaya
Aur zameen gungunaane lagi hai
Mumkin hai, mumkin hai bahaar mumkin hai
Zindagi mein likha

Khushnuma dil zubaan chhoodiyan pehan kar
Har kalai chanak ne khanak ne lagi
Kaano ki baaliyan bol uthi hain
Geet honthon pe yun, aane lagey hain
Mumkin hai, mumkin hai bahaar mumkin hai
Zindagi mein likha
Khwahishon ka karaar, mumkin hai
Ik nayi parwah, mumkin hai ho

वोह हंस - हंस के खुद को सजा देता है....

वोह हंस - हंस के खुद को सजा देता है
गम खुद के लिए रख लेता है
खुशियाँ अंजानो में बात देता है...

उस जैसा शख्स कहाँ मिलेगा
जो हीरा है
फिर भी नकाबों में छुपा रहता है...

आने वाले हर मोड़ को छोड़ देता है
वोह कामयाबी की मंजिल से दूर ही रहता है
इतना बेकरार है मिलने के लिए उससे
वोह रास्ते दर रास्ते भटकता रहता है...

अजीब लगाती है उसकी कहानी रोमिल
वोह अनदेखों से प्यार किया करता है 
वोह मरे हुए लोगों से बातें किया करता है....

वोह हंस - हंस के खुद को सजा देता है... 

Friday, September 16, 2011

खौफ के मारे

खौफ के मारे शाम से खिड़कियाँ, दरवाजों को बंद कर लेता हूँ मैं रोमिल
कहीं चाँद फिर न जला दे मुझको !

Thursday, September 15, 2011

पत्थर समझकर

पत्थर समझकर जिसे तुम ठुकराकर चल दिए रोमिल 
उसे पूजने वाले हैं बहुत 
उसकी इबादत करने वाले हैं बहुत....

#रोमिल

Wednesday, September 14, 2011

फूलों को भी काँटों का दर्द पता होना चाहिए

बहारों से कभी फुरसत मिले तो हमसे भी पल दो पल गुफ्तगू कर लेना
फूलों को भी काँटों का दर्द पता होना चाहिए रोमिल...

#रोमिल

Tuesday, September 13, 2011

अक्सर...

हम रातों को शमा जलाते हैं
भूजाते हैं अक्सर...
तुम्हारे यादों में रोते हैं
मुस्कुराते हैं अक्सर...
***
यूँही कट रही हैं ज़िन्दगी अपनी
जैसे साहिल पर लोग आते हैं जाते हैं अक्सर...
***
लोग क्या जाने, क्या छुपा हैं दर्द दिल में हमारे
वोह पढ़ते हैं चहरे अक्सर...
***
रास्तों पर तन्हा चलने का गम कोइए हमसे पूछे
मंजिल पर आकर, हार जाते हैं हम अक्सर...
***
हम चाहते थे आसमान में लिख दे मोहब्बत-ए-दास्तान
हमारे दुश्मन बने हैं हमारे खानदानवाले अक्सर...
***
हम रातों को शमा जलाते हैं
भूजाते हैं अक्सर...
तुम्हारे यादों में रोते हैं
मुस्कुराते हैं अक्सर...

Monday, September 12, 2011

Hindi Films on Police

Hindi Films on Police


Zanjeer (1973) - Amitabh Bachpan
Khakee (2004) - Amitabh Bachpan, Akshay Kumar
Gangaajal (2003) - Ajay Devgan
Singham (2011) - Ajay Devgan
Garv : Pride and Honour (2004) - Salman Khan
Wanted (2009) - Salman Khan
Dabangg (2010) - Salman Khan
Shool (1999) - Manoj Bajpai
Sarfarosh (1999) - Aamir Khan
Sehar (2005) - Arshad Warsi



Akshay Kumar played the role as an inspector

Main Khiladi Tu Anari (1994)
Mohra (1994)
Sabse Bada Khiladi (1995)
Tu Chor Main Sipahi (1996)
Sapoot (1996)
Lahoo Ke Do Rang (1997)
Insaaf: The Final Justice (1997)
Daava (1997)
Tarazu (1997)
Khakee (2004)
Police Force: An Inside Story (2004)
Aan: Men at Work (2004)

Zillat Ki Itni Baarish Ho chuki Hai Humpar

Zillat Ki Itni Barish Ho Chuki Hai Humpar,
Ki Ab Hum Kuch Dhul Se Gaye Hai 

Aur 

Waise Bhi Ek Bheega Hua Aadmi Barsaat Se Kyon Dare...

#Romil Arora

दोस्ती के वादे भी कितने अजीब होते हैं.

रोना चाहू, तब भी रो नहीं पता हूँ रोमिल,
दोस्ती के वादे भी कितने अजीब होते हैं.

#रोमिल

Saturday, September 10, 2011

अजनबी से मिलते हैं!

रोमिल, सब ही अपनों से मिलते हैं
मज़ा तो तब आता हैं जब लोग अजनबी से मिलते हैं!

Friday, September 9, 2011

तहज़ीब

तहज़ीब के शहर से आया हूँ, 
कुछ और नहीं बस तहज़ीब ही साथ लाया हूँ!

Thursday, September 8, 2011

अपने रब की रहमत कहता हूँ!

दुनिया-ए -जहाँ, जो मेरी मुहब्बत को कहती है मेरा पागलपन
रोमिल, मैं उसे अपने रब की रहमत कहता हूँ!

#रोमिल अरोरा

Wednesday, September 7, 2011

तमाशा बनकर, खुद्दार नहीं जिया करते!

जिम्मेदारियों ने मुझे क़ैद करके रखा हुआ हैं रोमिल
वरना तमाशा बनकर, खुद्दार नहीं जिया करते!

#रोमिल अरोरा

Tuesday, September 6, 2011

आज भी खुशबू तेरे ख़त से आती हैं...

आज भी खुशबू तेरे ख़त से आती हैं
आज भी ख़त पढ़ लू तो आँखों से नींद छीन जाती हैं...
*
आज भी तेरे लिखे शब्दों पर गुमान होता हैं
आज भी हर पल तेरे नाम होता हैं...
*
आज भी शब्द तेरे नगमे बनकर हवा में बिखर जाते हैं
आज भी शब्द तेरे फिजाओं में गाते हैं...
*
आज भी ज़िन्दगी रोशन हो जाती हैं रोमिल
आज भी खतों में छुपी तेरी मोहब्बत बड़ी याद आती हैं...


#रोमिल अरोरा

Monday, September 5, 2011

मैं भी कितना पागल था

मैं भी कितना पागल था
तितलियों के नाम रखा करता था...
***
जब फूल खिलते थे
मैं तुम्हारा अक्स ढूँढा करता था...
मैं भी कितना पागल था
तितलियों के नाम रखा करता था...
***
तपती धुप में
सर्द हवाओं में
बारिशों में
मैं तेरे पीछे पीछे भगा करता था...
मैं भी कितना पागल था
तितलियों के नाम रखा करता था...
***
जब तुम नहीं आती थी
तेरी यादों में उलझा -उलझा रहता था
सुबह से शाम तक उदास इंतज़ार करता रहता था
मैं भी कितना पागल था
तितलियों के नाम रखा करता था...
***
मैं भूल गया था
तितलियों के तो पंख भी होते हैं
खुशबू की चाहत में वोह दूर उड़ जाती हैं
फिर कभी लौट कर नहीं आ पाती...
फासले बढ़ जाते हैं...
मैं भी कितना पागल था
तितलियों के नाम रखा करता था...
***
रोमिल मैं भी कितना पागल था...

Sunday, September 4, 2011

कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं...

कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं
बहती हुई नदी की तरह हैं
पूछे माझी से तेरा पता क्या हैं
आया तू कहाँ से
जाना तुझे कहाँ हैं
कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं...

कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं
बहती हुई हवा की तरह हैं
पूछे टूटे हुए पत्ते से तेरा ठीकाना कहाँ हैं
आया तू कहाँ से
जाना तुझे कहाँ हैं
कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं...

कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं
एक अनजान रास्ता हैं
पूछे मुसाफिर से तेरा पता क्या हैं
आया तू कहाँ से
जाना तुझे कहाँ हैं
कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं...

#रोमिल

Friday, September 2, 2011

एहसास

यह अलग बात है रोमिल इसका एहसास उसके जैसा है
मगर हू-बा-हू यह कहाँ मेरे महबूब जैसा है...

#रोमिल

Thursday, September 1, 2011

रोमिल... तुमसा

रोमिल... तुमसा  कोइए होगा इस क़यामत में कबूल नहीं हमको
चाहे खुदा रहे या फिर न रहे...

#रोमिल