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Thursday, October 6, 2011

समझ

जब समझ नहीं थी सनम को हमारी शायरी के अल्फाज़ो की,
तब खूब तालियाँ बजाया करते थे,
जब से समझने लगे है हमारी शायरी के अल्फाज़ो को रोमिल,
तब से आंसू बहाया करते हैं...

#रोमिल

Wednesday, December 23, 2009

mat samajhana...

Muskura raha hu main, ise dil-e-khushi mat samajhana
baha raha hoon aansoo, ise barsaat mat samajhana
parvane ka kaam hota hai mohabbat mein fanaa ho jana, ise uski khudkhushi mat samajhana...
~*~
Mehfilon mein ja raha hu, ise uski razamandi mat samajhana
dosti sabse kar raha hu, ise uski dosti mat samajhana
deepak ki taqdeer mein hota hai jalkar roshani dena, ise uski khawaish mat samajhana...

#Romil

मुस्कुरा रहा हूं मैं, इसे दिल-ए-खुशी मत समझना 
बहा रहा हूं आंसू, इसे बरसात मत समझना 
परवाने का काम होता है मोहब्बत में फना हो जाना...
इसे उसकी खुदकुशी मत समझना...

महफ़िलों में जा रहा हूं, इसे उसकी रजामंदी मत समझना 
दोस्ती सबसे कर रहा हूं, इसे उसकी दोस्ती मत समझना 
दीपक की तकदीर में होता है चलकर रोशनी देना, 
इसे उसकी ख्वाहिश मत समझना...

#रोमिल