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Monday, November 27, 2023

Maine To Rakha Hai Jannat Apne Shehar Ka Naam

"Maine To Rakha Hai Jannat Apne Shehar Ka Naam"

Maine to rakha hai Jannat apne shehar ka naam,
tum bhi kuch rakh lo apne shehar ka naam!

subah jahan masjid ke aajan se hoti hai,
shaam wahan mandir ke ghanto sang soti hai,

dopahar ko jahan panchi apne sur milate hai,
raat ko wahan chandrama-chakor sang aankh ladate hai,

eid par jahan hindu-muslim gale milte hai,
holi par wahan sab saat guziya khate hai,
diwali mein sab apne ghar mein roshani lagate hai,
wahi baisakhi mein sabhi bangara paate hai,

jahan aaj bhi sawan mein jhoole lage dekhai dete hai,
jahan aaj bhi baache mitti ke khilaune banate hai,
jahan aaj bhi sab, bujurgo ko aadab farmate hai,
jahan aaj bhi zamane ki zanjeer ko tod kar heer-ranjha chup-chup kar mila karte hai,

imambara jahan par apni khoobsurati ki kahani khud kehta hai,
charo tarah se saje parko ka jahan mela rehta hai

yeh sab dekhkar gomti nadi bhi itraati hai,
aur mast pavan ke saat haath milakar geet gati hai,
aur kehti hai...
jahan mein kaha aisa nazara dekhne ko milega,
ganga-jamuna sabhiyata ka mail kaha milega,
main to dhanya hu is dharti mein apni aviral dhara bhakar,
aisa khushiyon ka sansar kahan dekhne ko milega,

main bhi apne shehar par naaz karta hoon,
isliye to shayad Khuda ki Jannat se uski barabari karta hoon.

Shayad isliye maine rakha hai Jannat apne shehar ka naam...
Shayad isliyeeeeeee... 

#Romil

मैंने तो रखा है जन्नत अपने शहर का नाम 

मैंने तो रखा है जन्नत अपने शहर का नाम
तुम भी कुछ रख लो अपने शहर का नाम... 

सुबह जहां मस्जिद के अज़ान से होती है 
शाम वहां मंदिरों के घंटो संग सोती है 

दोपहर को जहां पंछी अपने सुर मिलाते हैं 
रात को वहाँ चंद्रमा-चकोर आंख लड़ाते हैं 

ईद पर जहां हिंदू-मुस्लिम गले मिलते हैं 
होली पर वहां सब साथ गुजिया खाते हैं 
दिवाली में सब अपने घर में रोशनी लगाते हैं 
वहीं बैसाखी में सभी भांगड़ा पाते हैं 

जहां आज भी सावन में झूले लगे दिखाई देते हैं 
जहां आज भी बच्चे मिट्टी के खिलौने बनाते हैं 
जहां आज भी सभी बुजुर्गों को अदाब फरमाते हैं 
जहां आज भी जमाने के जंजीरों को तोड़कर हीर-रांझा छुप-छुप कर मिला करते हैं 

इमामबाड़ा जहां पर अपनी खूबसूरती की कहानी खुद कहता है 
चारों तरफ से सजे पार्कों का जहां मेला रहता है

यह सब देखकर गोमती नदी भी इतराती है
और मस्त पवन के साथ हाथ मिलाकर गीत गाती है 
और कहती है... 
जहां में कहां ऐसा नजारा देखने को मिलेगा 
गंगा-जमुनी सभ्यता का मेल कहां मिलेगा 
मैं तो धन्य हूं इस धरती में अपनी अविरल धारा बहाकर 
ऐसा खुशियों का संसार कहां देखने को मिलेगा 

मैं भी अपने शहर पर नाज़ करता हूं 
इसलिए तो शायद खुदा की जन्नत से उसकी बराबरी करता हूं... 

शायद इसलिए मैंने रखा है जन्नत अपने शहर का नाम... शायद इसलिए...

#रोमिल

Wednesday, November 4, 2020

दरख़्त हूँ, थोड़ा सख़्त हूँ...

दरख़्त हूँ
थोड़ा सख़्त हूँ...
हाँ, थोड़ा शख़्त हूँ...
पर तुझे छाँव दूँगा,
ठंडी-हल्की हवाओं के झोंके से तेरी सारी थकान उतार दूँगा,
आ चबूतरे पे मेरे सो जा।
आ पनाह में मेरी सो जा।
मैं तुझे सुकून-आराम दूँगा।

(२)
रोज़ सुबह,
हाथों में अख़बार को रोल किये औऱ चाय से भरा थर्मस लिए,
उसकी क़ब्र पे पहुँच जाता है।
आदत जो थी...
संग सुबह पहली चाय पीना, साथ दुनियादारी की बातें करना,
फ़िर बातें करते-करते किसी बात पर तू तू-मैं मैं कर लेना...
यूँही सुबह की रोज़ शुरुआत करना।

चिड़िया-चिड्डे की तरह चिचियाना,
ज़िंदा होने का एहसास दिलाना...

अब एक बोलता रहता है,
दूसरा क़ब्र में लेटा सुना करता है।
एक तरफ शोर है तो दूसरी तरफ़ ख़ामोशी है,
ज़िन्दगी अब सिर्फ़ आधी ज़िन्दा हैं।

#रोमिल

Tuesday, November 3, 2020

बुखार... ही काफ़ी होता है... दुनिया-जहां बदलने के लिए...

बुखार... ही काफ़ी होता है...
दुनिया-जहां बदलने के लिए...

फ़िर चाहे बीमारी वाला बुखार हो या फिर इश्क़ वाला बुखार...

#रोमिल

Thursday, October 22, 2020

पहले कभी इसके सिवा कुछ करने की इच्छा नहीं हुई न ही जरूरत महसूस हुई।

सुबह जब घर से निकलते थे, माँ का दीदार करके निकलते थे,
जब घर लौटते थे, तब माँ का दीदार होता था,
रात में सोने जाने से पहले माँ का दीदार करके सोते थे।

पहले कभी इसके सिवा कुछ करने की इच्छा नहीं हुई न ही जरूरत महसूस हुई।

अब तो मंदिर के चक्कर लगाने, पूजा-पाठ से ही फुर्सत नही मिलती।

#BestAnswers
#Romil

Wednesday, October 21, 2020

एक नया लिबास क्या ओढ़ लें, गुरूरियत इनके ज़िस्म से झलकने लगती है।

एक नया लिबास क्या ओढ़ लें, गुरूरियत इनके ज़िस्म से झलकने लगती है।

(नया सलवार-सूट क्या पहन लें, गुरूर दिखाने लगती है।)

नये-नए जो अमीर बने है।

जितना इनके पास हैं, उतना हम छोड़ आये है, दान-पुण्य: कर आये है।

#BestAnswers
#Romil

Tuesday, October 20, 2020

मैंने तो पूरी ईमानदारी के साथ सबकुछ निभाया...

मैंने तो पूरी ईमानदारी के साथ सबकुछ निभाया...
फिर चाहे मुहब्बत हो या फिर नफ़रत।

तुमसे तो कुछ भी न निभाया गया...
न मुहब्बत और न ही नफ़रत।

मुँह उठाकर ब्लॉग पर चली आती हो।

#BestAnswers
#Romil

Wednesday, October 14, 2020

इस फ़र्क को समझो...

इस फ़र्क को समझो...

मैं उसकी मुहब्बत हूँ... मुहब्बत...

तुम्हारी सिर्फ चाहत हूँ....

#BestAnswers
#Romil

Tuesday, October 13, 2020

ख़ुदा ने तुमसे वो खिलौना ही छीन लिया।

शरीफ़, पाक, ग़रीब आदमी की मुहब्बत तो तुमको खिलौना लगती थी न।

ख़ुदा ने तुमसे वो खिलौना ही छीन लिया।
वो मुहब्बत ही छीन ली।

#BestAnswers
#Romil

Monday, October 12, 2020

जलजला बनकर न बरस जाऊं उनपर...

"जलजला बनकर न बरस जाऊं उनपर,
जो यह सोचते है कि यह मौसम कभी बरसता ही नहीं"

"बख्श रहा है तो हरगिज़ यह मत सोच की कमजोर है,
सुधरने का मौका तो खुदा भी देता है अपने बंदों को"

#रोमिल

Sunday, October 11, 2020

तुमको रहना ही नही आया

मैंने सब कुछ भुलाकर... हर हादसा... हर ग़म... हर बेवफाई... हर बेइज़्ज़ती... हर ज़िल्लत भुलाकर... तुमको अपने दिल में पनाह दी थी, अपनी जिंदगी में जगह दी थी।

पर सच तो यह है कि...

"तुमको रहना ही नही आया"

#BestAnswers
#Romil

Thursday, October 8, 2020

बड़ा ऐतबार है ना तुझे अपने मुर्शिद पर...

बड़ा ऐतबार है ना तुझे अपने मुर्शिद पर...

चल फिर... उठा हाथ, माँग दुआ, कर फरियाद उससे कि... "मेरे दिल से तेरे लिए मुहब्बत मिटा दे"

देखते है जीत किसकी होती है...

तेरे मुर्शिद की या फ़िर मेरी मुहब्बत की।

#BestAnswers
#Romil

Wednesday, October 7, 2020

अब इस पार आना तो...

अब इस पार आना तो वापस लौट जाने की सभी कश्तियाँ जला कर आना।

वरना उस पार साहिल पे ही रहो।
वरना उस पार साहिल के साथ ही रहो।

और दूर से ही इस पार का लुफ़्त लेती रहो।

#BestAnswers
#Romil...inspired

Friday, October 2, 2020

हम औरतों की ज़िंदगी भी बड़ी अजीब होती है...

हम औरतों की ज़िंदगी भी बड़ी अजीब होती है...

अम्मी-अब्बू के घर जब तक हो तो कहते है "शौहर के घर जाकर अपनी ख्वाईशें पूरी करना"।

और जब शौहर के घर आओ तो कहते है "अम्मी-अब्बू के घर से अपनी ख्वाईशें पूरी करके आनी चाहिए थी"।

इसलिए अब मैं किसी की रज़ा के चक्कर में नही पड़ती, रज़ा नहीं लेती सिर्फ़ अपनी ख्वाईशें पूरी करती हूँ।

#BestAnswers
#Romil

Wednesday, September 30, 2020

अगर इस क़ायनात में दुआ का असर होता है...

अगर इस क़ायनात में दुआ का असर होता है.

तो यकीन मानो...

बददुआ भी यक़ीनन एक न एक दिन जरुर असर दिखायेगी।

#BestAnswers 
#Romil

मुझे उससे मोहब्बत नहीं है।

मुझे उससे नफ़रत नहीं है।

सच तो यह है...

मुझे उससे मोहब्बत नहीं है।

#BestAnswers #Romil

Monday, August 10, 2020

रब का कानून

यह जादू-टोना, जंतर-मंतर का असर भूत-प्रेत पर होता होगा।

फ़रिश्तों पर सब बेअसर है।

फ़रिश्तों पर सिर्फ एक ही कानून चलता है, वो है रब का कानून।

#रोमिल

kuch sawalon ke jawab se pehle....

kuch sawalon ke jawab se pehle.... insaan ka ehsaas bol uthata hai...

jawab sunne wale ko ehsaas samajhna bhi aana chahiye...

isliye...

mujhe apne adhure pade sawalon ke jawab nahi chahiye...main tumhara ehsaas samajh gaya tha...

jane wale ko rokna nahi...khuda hafiz kehna chahiye...

#Romil #BestAnswers

Thursday, August 6, 2020

yahi tumhari galti hai...

yahi tumhari galti hai...
tumne socha, humne khareed liya toh Mohre hamare hue...

zaraa...ulat-palat ke bhi Mohre check kar liya karo, unmein Seal lagi hui hamari hi hai...
"ARORA"

#Romil
#BestAnswers

khel raha hai hamare saath...

khel raha hai hamare saath...

par isko yeh nahi maloom... jise yeh khareed raha hai usko humne hi rakha hai Bazaar mein Bikne ke liye...

#Romil
#BestAnswers

Tuesday, August 4, 2020

सच से रूबरू

पहले कुछ पल देखता रहा...
फिर चेहरे के कई हाव-भाव बनाये...
हाथ से जाने, आगे बढ़ने का इशारा किया...
फिर कार की सीट पर बैठे-बैठे, कमर को थोड़ा टेढ़ा-मेढ़ा करते हुए जीन्स के पीछे वाली जेब से बटुआ निकाला...
गुफ़ा-नुमा उस बटुआ में बहुत ख़ोज-बीन करने के बाद उस सम्मानजनक व्यक्ति ने 1/- रुपये का सिक्का निकाल कर उस गरीब बच्चे को थमा दिया।

#रोमिल