जाग के कटती हैं रात इन दिनों
तुम्हारी यादों का सहारा हैं इन दिनों...
~*~
चांदनी आती नहीं मेरे अंजुमन में
चारों तरफ फैला अँधियारा हैं इन दिनों...
~*~
मुस्कुराना मैं भूल गया हूँ जैसे
बेरुखी का चेहरा लगाये फिरता हूँ इन दिनों...
~*~
चलो काम आ गई जुदाई तुम्हारी रोमिल
वरना पागल ही समझते लोग मुझे इन दिनों...
तुम्हारी यादों का सहारा हैं इन दिनों...
~*~
चांदनी आती नहीं मेरे अंजुमन में
चारों तरफ फैला अँधियारा हैं इन दिनों...
~*~
मुस्कुराना मैं भूल गया हूँ जैसे
बेरुखी का चेहरा लगाये फिरता हूँ इन दिनों...
~*~
चलो काम आ गई जुदाई तुम्हारी रोमिल
वरना पागल ही समझते लोग मुझे इन दिनों...
#रोमिल