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Saturday, September 17, 2011

वो हंस - हंस के खुद को सजा देता है....

वो हंस - हंस के खुद को सजा देता है
गम खुद के लिए रख लेता है
खुशियाँ अंजानो में बांट देता है...

उस जैसा शख्स कहाँ मिलेगा
जो हीरा है
फिर भी नकाबों में छुपा रहता है...

आने वाले हर मोड़ को छोड़ देता है
वो कामयाबी की मंजिल से दूर ही रहता है
इतना बेकरार है मिलने के लिए उससे
वो रास्ते दर रास्ते भटकता रहता है...

अजीब लगती है उसकी कहानी रोमिल
वो अनदेखों से प्यार किया करता है 
वो मरे हुए लोगों से बातें किया करता है....

वो हंस - हंस के खुद को सजा देता है...

#रोमिल 

Thursday, August 28, 2008

Kya Mere Saath Dene Ki Saaza Di?



Dushman Rabb...


Tune Mujhe Khushi Nahi De,
Koiye Baat Nahi,


Tune Dard-Gum Beshumaar Diye,
Koiye Baat Nahi,


Meri Umeed, Chahat Barbaad Ke,
Koiye Baat Nahi,


Meri Zindagi Main Roshani Cheen Kar, Andhere Diye,
Koiye Baat Nahi.
.
.
.
Par Mere Sanam Ko Kyon Dukh-Dard Ki Sugat Di,
Kya Mere Saath Dene Ki Saaza Di!
[WRITTEN BY ROMIL ARORA - COPYRIGHT RESERVED]

Wednesday, August 13, 2008

saaza mat diya karo...

Yaadon mein nahi haqiqat mein hamare saath raha karo,
Khamosh reh kar dil ki baatein humse mat kara karo,
Kismat BADALNE KA HUNAR JANTE HAI HUM,
HUMSE HAAL-E-DIL KAHA KARO,
Jaan kar bhi humse anjaan bante ho tum,
Mere Sanam...mohabbat ki aisi bhi saaza mat diya karo...

#Romil

यादों में नहीं हकीकत में हमारे साथ रहा करो, 
खामोश रह कर दिल की बातें हमसे मत करा करो, 
किस्मत बदलने का हुनर जानते हैं हम, 
हमसे हाल-ए-दिल कहा करो, 
जान कर भी हमसे अनजान बनते हो तुम, 
मेरे सनम... मोहब्बत की ऐसी भी सजा मत दिया करो...

#रोमिल