इस जहाँ को
उस जहाँ को लूटा दूं
तेरी मेहंदी पर...
*
नज़रे तकती रहे
यूंह ही खोया-खोया में रहूँ
सब कुछ भूला दूं
तेरी मेहंदी पर...
*
यूंह ही पहलू में लेटा रहूँ
तेरे हांथों की चिल्मन से चाँद को देखता रहूँ
चाँद-तारें भी कुर्बान हो जाये
तेरी मेहंदी पर...
*
रब के नूर सी लगती हैं तेरी मेहंदी
एक दुआ सी लगाती हैं तेरी मेहंदी
हर पल सजी रहे तेरे हांथों में तेरी मेहंदी
हर चाहत,
हर आरज़ू लूटा दूं
रोमिल, तेरी मेहंदी पर...
उस जहाँ को लूटा दूं
तेरी मेहंदी पर...
*
नज़रे तकती रहे
यूंह ही खोया-खोया में रहूँ
सब कुछ भूला दूं
तेरी मेहंदी पर...
*
यूंह ही पहलू में लेटा रहूँ
तेरे हांथों की चिल्मन से चाँद को देखता रहूँ
चाँद-तारें भी कुर्बान हो जाये
तेरी मेहंदी पर...
*
रब के नूर सी लगती हैं तेरी मेहंदी
एक दुआ सी लगाती हैं तेरी मेहंदी
हर पल सजी रहे तेरे हांथों में तेरी मेहंदी
हर चाहत,
हर आरज़ू लूटा दूं
रोमिल, तेरी मेहंदी पर...