jab bhi baithata hu main tanhakhud se rubaru hota hubas yahi baat sochata hutum hoti to kaisa hotatum hoti to waisa hota...~*~meri goad main tum soya kartibaithe rehti aur baatein karti rehte...tum is baat par khush hotitum us baat par rooth jaya karte...tum hoti to kaisa hotatum hoti to waisa hota...jab bhi baithata hu main tanha
khud se rubaru hota hu
bas yahi baat sochata hu
tum hoti to kaisa hota
tum hoti to waisa hota...~*~
raaton main khawab sajate
teri zulfoon ke saaye main so jaate
deeware jo apne beeche thi sab gira daite
aaye sanam tere sulagate jism ki mehak main kho jate...
ab yeh haalat kisse kahe hum
kab tak khamosh rahe aur jalte rahe hum
kyon na yeh duriya hum mita de
aa saare zamane ko hum bata de
nahi jee sakte ek-dusare ke bina
nahi jee sakte ek-dusare ke bina...
jab bhi baithata hu main tanha
khud se rubaru hota hu
bas yahi baat sochata hu
tum hoti to kaisa hota
tum hoti to waisa hota...
~*~
khidki main baithe sar jhuka kar tum mera intezaar karti
chup-chap dhalate hue chand ko dekhate
meri aahat pate hi bhaagi hui darwaze par aati
meri nazron mein khud ka chehara pati
tum hoti to kaisa hota
tum hoti to waisa hota
jab bhi baithata hu main tanha
khud se rubaru hota hu
bas yahi baat sochata hu
tum hoti to kaisa hota
tum hoti to waisa hota...
~*~
hawaon ka jhoka tumhara ehsaas de jata haichand aankhon hi aankhon mein tumhare labz bayaan kar jata haiyeh pani ki boondein, jaise tumne mere badan ko chuha homain janta hu tum kahin nahi homagar yeh dil keh raha hai tum yahi kahi hojab bhi baithata hu mein tanhakhud se rubaru hota hubas yahi baat sochata hutum hoti to kaisa hotatum hoti to waisa hota...
#Romil
जब भी बैठता हूं मैं तन्हा
खुद से रूबरू होता हूं
बस यही बात सोचता हूं
तुम होती तो कैसा होता
तुम होती तो वैसा होता...
मेरी गोद में तुम सोया करती
बैठे रहती और बातें करती रहती
तुम इस बात पर खुश होती
तुम उस बात पर रूठ जाया करती...
तुम होती तो कैसा होता
तुम होती तो वैसा होता...
जब भी बैठता हूं मैं तन्हा
खुद से रूबरू होता हूं
बस यही बात सोचता हूं
तुम होती तो कैसा होता
तुम होती तो वैसा होता...
रातों में ख्वाब सजाते
तेरी जुल्फों के साए में सो जाते
दीवारें जो अपने बीच थी सब गिरा देते
ए सनम तेरे सुलगते जिस्म की महक में खो जाते
अब यह हालत किससे कहें हम
कब तक खामोश रहे और जलते रहे हम
क्यों ना यह दूरियां हम मिटा दे
आ सारे जमाने को हम बता दे
नहीं जी सकते एक दूसरे के बिना
नहीं जी सकते एक दूसरे के बिना...
जब भी बैठता हूं मैं तन्हा
खुद से रूबरू होता हूं
बस यही बात सोचता हूं
तुम होती तो कैसा होता
तुम होती तो वैसा होता...
खिड़की में बैठे सर झुका कर तुम मेरा इंतजार करती
चुपचाप ढलते हुए चांद को देखती
मेरी आहट पाते ही भागी हुई दरवाजे पर आती
मेरी नजरों में खुद क चेहरा पाती...
तुम होती तो कैसा होता
तुम होती तो वैसा होता...
जब भी बैठता हूं मैं तन्हा
खुद से रूबरू होता हूं
बस यही बात सोचता हूं
तुम होती तो कैसा होता
तुम होती तो वैसा होता...
हवाओं का झोंका तुम्हारा एहसास दे जाता है
चांद आंखों ही आंखों में तुम्हारे लफ्ज़ बयां कर जाता है
यह पानी की बूंदे, जैसे तुमने मेरे बदन को छुआ हो
मैं जानता हूं तुम कहीं नहीं हो
मगर यह दिल कह रहा है तुम यही कही हो...
जब भी बैठता हूं मैं तन्हा
खुद से रूबरू होता हूं
बस यही बात सोचता हूं
तुम होती तो कैसा होता
तुम होती तो वैसा होता...
#रोमिल