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Saturday, September 8, 2018

Mujhe hawan bhi chhu jaye to gunah lagta hai...

Tumhe uske saath sona aacha lagta hai...
Mujhe tere naam ke saath jaagna aacha lagta hai...

Tujhe woh chhuhe, tujhe koi fark nahi...
Mujhe hawan bhi chhu jaye to gunah lagta hai...

Tumhe uske saamne beparda, mujhse parda karna bhaata hai...
Mujhe har kisi mein sirf tera aks nazar aata hai...

Tumhe apne rishton mein dub jaana pasand hai...
Mujhe tujhmein sama jaana aacha lagta hai...

#Romil

तुम्हें उसके साथ सोना अच्छा लगता है... 
मुझे तेरे नाम के साथ जागना अच्छा लगता है... 

तुझे वो छुए, तुझे कोई फर्क नहीं 
मुझे हवा भी छू जाए तो गुनाह लगता है... 

तुम्हें उसके सामने बेपर्दा, मुझसे पर्दा करना भाता है 
मुझे हर किसी में सिर्फ तेरा अक्स नजर आता है... 

तुम्हें अपने रिश्तों में डूब जाना पसंद है... 
मुझे तुझमें समा जाना अच्छा लगता है...

#रोमिल

Monday, January 9, 2012

रुख से हटा के बालों को, दर्द-ए-दिल दे दिया, हम दिलवालों को...

आज कल हमारे अवध (लखनऊ) का मौसम कुछ मस्ताना हैं...

रुख से हटा के बालों को
दर्द-ए-दिल दे दिया, हम दिलवालों को...
~
हल्की-हल्की बारिश की बूंदों में
जो उसने मुडकर देखा हम मनचलों को..

दूर तक देखती रही मेरी नज़रे
उस जाने वाले को...
~
हल्के से उसके दामन के इशारे ने
एक और उलझन दे गया मेरे ख़्वाबों को
मेरे ख्यालों को....
~
प्यारी से मुस्कुराहट उसकी, मुझे यह तो समझा गई
मेरी तड़पती नज़रों का कुछ तो असर हुआ हैं हुस्नवाले को...
~
रुख से हटा के बालों को
दर्द-ए-दिल दे दिया, हम दिलवालों को...

#रोमिल

Tuesday, August 9, 2011

तेरा मेरा रिश्ता राधा-कृष्ण जैसा...

तेरा मेरा रिश्ता
राधा-कृष्ण जैसा,
रब के घर में यह चर्चा, 
राधा-कृष्ण जैसा.
चाहे चाँद से, चाहे सितारों से पूछो,
चाहे आसमान से, चाहे बादलो से पूछो,
चाहे फूल से, चाहे बागों से पूछो,
चाहे इस दुनिया के जर्रे-जर्रे से पूछो,
सब कहेंगे कि 
तेरा मेरा रिश्ता
राधा-कृष्ण जैसा.


हमारा इश्क,
हमारी वफाएं ,
हमारा विश्वास,
दूर-दूर है हम-तुम बस एक- दूसरे का एहसास 
यही तेरा-मेरा आसरा जैसा,
यह आसरा 
राधा-कृष्ण जैसा.

क्यों इतना खामोश रहती हो,
क्यों व्योग में जलती रहती हो,
क्यों मिलन के लिए 
तड़पती हो,
रब खुद यह कहता है रोमिल,
तेरा मेरा रिश्ता
राधा-कृष्ण जैसा.

#रोमिल

Monday, August 8, 2011

तेरे लिए...

आज भी आधा बिस्तर खाली छोड़ कर सोता हूँ तेरे लिए
आज भी चारपाई के सरहाने सुरहाई में पानी भरकर रखता हूँ तेरे लिए
आज भी मेज की पहली दराज़ में टूटा हुआ चश्मा, दूर की नज़र वाला रखा हुआ है तेरे लिए
आज भी चारपाई के सामने वाली खिड़की पर वही नीले सितारों रंग वाला पर्दा लटका रखा है तेरे लिए   
आज भी गुलदान में गुलाब के फूल सज़ा कर रखता हूँ तेरे लिए
आज भी मेज के किनारे तेरी पसंद की किताबें रखी है तेरे लिए
आज भी घर से निकलने से पहले खाली फ़्रेम पर फूल चढ़ाना नहीं भूलता हूँ तेरे लिए...

आज भी लोग राज को पागल समझते है
आज भी राज मुस्कुराकर सबके सवाल टाल जाता हूँ
आज भी... तेरे लिए...

#रोमिल

Monday, March 28, 2011

छत पर सितारों की चादर बिछाते है....

ऐ सुनो
सुनो न
छत पर सितारों की चादर बिछाते है
तुम्हे अपनी गोद में लेटाते है 
देकर तुम्हारे माथे पर थपकिया
तुम्हे सुलाते है...

निहारते है रात भर तुम्हारा चाँद सा चेहरा
मेहंदी लगे हुए हाथों को प्यार से चुमते है...

खनकती हुई हाथों की चूड़ियाँ,
बजती हुई पायल... जब तुम अंगड़ाई लेती हो!!
उसकी मधुर आवाज़ सुनते है...

छत पर सितारों की चादर बिछाते है....

#रोमिल