हम तो छुप-छुप कर तेरी बातें किया करते हैं...
न जाने कैसे महफ़िल में खबर हो जाती हैं...
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हम तो छुप-छुप कर रो लिया करते हैं...
न जाने कैसे ज़माने को खबर हो जाती है...
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हम तो छुप-छुप कर उनको देखा करते हैं...
हम तो छुप-छुप कर उनको देखा करते हैं...
न जाने कैसे दोस्तों को खबर हो जाती हैं...
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हम तो छुप-छुप कर लिखते हैं उनको खत...
न जाने कैसे उनको ख़बर हो जाती हैं...
- रोमिल राज