Wednesday, June 17, 2009

kisi se kya kahe.....

diya hai dil agar kisi bewafa ko
hua hu jab main hi garib, kisi se kya kahe...
~*~
yeh zid thi ki apni mohabbat main tabah ho jaun
jab hua hu tabah, kisi se kya kahe...
~*~
raha na yaad ab mujhe kisi dost ka ghar
thehar jaun do ghadi kisi dushman ke ghar, kisi se kya kahe...
~*~
samaj kar karte the hum mohabbat-e-izhaar
na-samjhi mein ab kisi ka haath tham le, kisi se kya kahe...

#Romil

दिया है दिल अगर किसी बेवफ़ा को 
हुआ हूँ जब मैं ही गरीब, किसी से क्या कहें...

यह जिद थी कि अपनी मोहब्बत में तबाह हो जाऊँ 
जब हुआ हूँ तबाह, किसी से क्या कहें...

रहा ना याद मुझे किसी दोस्त का घर 
ठहर जाऊँ दो घड़ी किसी दुश्मन के घर, किसी से क्या कहें...

समझ कर करते थे हम मोहब्बत-ए-इजहार 
ना-समझी में अब किसी का हाथ थाम ले, किसी से क्या कहें...

#रोमिल

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