garib ka ghar hain
~~~
ek tooti hue charpai hai
isko jala kar tumko kya milega...
matka hai pani se bhara
isko todkar tumko kya milega...
garib ka ghar hai....
isko ujadkar tumko kya milega...
~~~
toote-phoote bartan hai
jo garibi ki dastan khud baayan karte hai
jis diye se roshan hota tha ghar ab usme tail nahi hai
isko phodkar tumko kya milega...
garib ka ghar hai....
isko ujadkar tumko kya milega...
~~~
in baachon ke pass do joodi hi kapade hai
woh bhi jaale hue
sarkari copy-kitabon ke paane hai
woh bhi fhate hue
inko raakh main mila kar tumko kya milega....
garib ka ghar hai....
isko ujadkar tumko kya milega...
~~~
barsaat mein tapakta hai is chappar se pani
buddhi aankhen raat bhar yeh tamasha dekhati rehti hai...
kone main padi hain bhagwan ki tasveer
jo muskurati rehti hai...
bhala...isko mita kar tumko kiya milega
garib ka ghar hai....
isko ujadkar tumko kya milega...
#Romil
गरीब का घर हैं
~~~
एक टूटी हुई चारपाई हैं
इसको जलाकर तुमको क्या मिलेगा...
मटका हैं पानी से भरा
इसको तोड़कर तुमको क्या मिलेगा...
गरीब का घर हैं...
इसको उजाड़कर तुमको क्या मिलेगा...
~~~
टूटे-फूटे बर्तन हैं
जो गरीबी की दास्ताँ खुद बयां करते हैं
जिस दीये से रोशन होता था घर अब उसमें तेल नहीं हैं
इसको फोड़कर तुमको क्या मिलेगा...
गरीब का घर हैं....
इसको उजाड़कर तुमको क्या मिलेगा...
~~~
इन बच्चों के पास दो जोड़ी ही कपड़े हैं
वो भी जले हुए
सरकारी कॉपी-किताबों के पन्ने हैं
वो भी फटे हुए
इनको राख में मिलाकर तुमको क्या मिलेगा....
गरीब का घर हैं....
इसको उजाड़कर तुमको क्या मिलेगा...
~~~
बरसात में टपकता हैं इस छप्पर से पानी
बूढ़ी आँखें रात भर यह तमाशा देखती रहती हैं...
कोने में पड़ी हैं भगवान की तस्वीर
जो हमारी मजबूरियों पर मुस्कुराती रहती हैं...
भला...इसको मिटाकर तुमको क्या मिलेगा...
रोमिल, गरीब का घर हैं....
इसको उजाड़कर तुमको क्या मिलेगा...
#रोमिल
No comments:
Post a Comment