Thursday, August 6, 2009

mere dost mujhe bhi mohabbat na hoti...

agar yeh husn, yeh nazaron ki qayamat na hoti
mere dost mujhe bhi mohabbat na hoti!
~*~
raaton mein na tadapta
khwabon ki haseen jannat na hoti!
~*~
yeh ada, yeh jalawe, yeh ishare na hote
yeh baghawat ki aag dil main na jal rahi hoti!
~*~
na hoti yeh aarzoo, na hasrate hoti
na phoolon par mandrati, bhawron ki toli hoti!
~*~
na manzil ki talash main hum bhatakate Romil
na unko dillagi ki aadat hoti!
~*~
agar yeh husn, yeh nazaron ki qayamat na hoti
mere dost mujhe bhi mohabbat na hoti!

#Romil

अगर यह हुस्न, यह नजरों की कयामत ना होती 
मेरे दोस्त मुझे भी मोहब्बत ना होती! 

रातों में ना तड़पता 
ख़्वाबों की हसीन जन्नत ना होती! 

यह अदा, यह जलवे, यह इशारे ना होते 
यह बगावत की आग दिल में ना जल रही होती! 

ना होती यह आरज़ू, ना हसरतें होती 
ना फूलों पर मंडराती, भवरो की टोली होती! 

ना मंजिल की तलाश में हम भटकते रोमिल 
ना उनको दिल्लगी की आदत होती! 

अगर यह हुस्न, यह नजरों की कयामत ना होती 
मेरे दोस्त मुझे भी मोहब्बत ना होती! 

#रोमिल

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