Sunday, December 27, 2009

tum mere pass raho...

jab kabhi mohabbat-e-dard sataiye tum mere pass raho...
***
jab kabhi gire meri aankhon se aansoo
tum mere pass raho.
jab kabhi mere hoonton par muskaan na aaye
tum mere pass raho.
jab kabhi mohabbat-e-dard sataiye
tum mere pass raho...
***
jab kaate na kate yeh kaali raat
tum mere pass raho.
jab tanhai ki raatein sataiye
tum mere pass raho.
jab kabhi mohabbat-e-dard sataiye
tum mere pass raho...
***
jab koi bigadi baat na bane
jab koi na de saath mera
tum mere pass raho...
jab kabhi mohabbat-e-dard sataiye
tum mere pass raho...
***
jab uski bewafai mujhe yaad aaye
tum mere pass raho.
jab judai ka dard sataiye
tum mere pass raho.
jab kabhi mohabbat-e-dard sataiye
tum mere pass raho...
***
jab intezaar ki bela rulaiye
tum mere pass raho
jab chand bhi naazar na aaye
tum mere pass raho
jab kabhi mohabbat-e-dard sataiye
tum mere pass raho...
***
jab saagar ke kinare tanha nazar aaye
tum mere pass raho
jab barsaat ki boondein pyasi nazar aaye
tum mere pass raho
jab kabhi mohabbat-e-dard sataiye
tum mere pass raho...
***
jab main rooth jayun
tum mere pass raho.
jab kabhi aaina se karu baatein
tum mere pass raho.
jab kabhi mohabbat-e-dard sataiye
tum mere pass raho...
jab kabhi koi apna rulaiye
tum mere pass raho...
mere dost...tum mere pass raho...
mere rabb...tum mere pass raho...

#Romil

जब कभी मुहब्बत-ए-दर्द सताये
तुम मेरे पास रहो...

जब कभी गिरे मेरी आँखों से आँसू
तुम मेरे पास रहो...
जब कभी मेरे होंठों पे मुस्कान न आये
तुम मेरे पास रहो...
जब कभी मुहब्बत-ए-दर्द सताये
तुम मेरे पास रहो...

जब काटे न कटे यह काली रात
तुम मेरे पास रहो...
जब तन्हाई की रातें सताये
तुम मेरे पास रहो...
जब कभी मुहब्बत-ए-दर्द सताये
तुम मेरे पास रहो...

जब कभी बिगड़ी बात न बने
जब कोई न दे साथ मेरा
तुम मेरे पास रहो...
जब कभी मुहब्बत-ए-दर्द सताये
तुम मेरे पास रहो...

जब उसकी बेवफ़ाई मुझे याद आये
तुम मेरे पास रहो...
जब जुदाई का दर्द सताये
तुम मेरे पास रहो...
जब कभी मुहब्बत-ए-दर्द सताये
तुम मेरे पास रहो...

जब इंतेज़ार की बेला रुलाये
तुम मेरे पास रहो...
जब चाँद भी नज़र ना आये
तुम मेरे पास रहो...
जब कभी मुहब्बत-ए-दर्द सताये
तुम मेरे पास रहो...

जब सागर के किनारे तन्हा नज़र आये
तुम मेरे पास रहो...
जब बरसात की बूँदें प्यासी नज़र आये
तुम मेरे पास रहो...
जब कभी मुहब्बत-ए-दर्द सताये
तुम मेरे पास रहो...

जब मैं रूठ जाऊँ
तुम मेरे पास रहो...
जब कभी आईना से करूँ बातें
तुम मेरे पास रहो
जब कभी मुहब्बत-ए-दर्द सताये
तुम मेरे पास रहो...
जब कभी कोई अपना रुलाये
तुम मेरे पास रहो...
मेरे दोस्त... तुम मेरे पास रहो...
मेरे रब... तुम मेरे पास रहो...

#रोमिल

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