saawan ke mausam mein bhi patjhad raha...
woh to manzil par aaram se baitha raha
apna thikana hamesha raste par raha...
***
intezaar ki kasti mein judai ka dariya paar kiya
main bhi kaisa ullu ka pattha tha
na jaane mohabbat mein kya-kya kiya...
#Romil
मेरे शहर में रहकर वो अजनबी रहा
सावन के मौसम में भी पतझड़ रहा...
वो तो मंजिल पर आराम से बैठा रहा
अपना ठिकाना हमेशा रास्ते पर रहा...
इंतजार की कश्ती में जुदाई का दरिया पार किया
मैं भी कैसा उल्लू का पट्ठा था
ना जाने मोहब्बत में क्या-क्या किया...
#रोमिल
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