Saturday, August 7, 2010

yeh na samjho muskura raha hoon main

yeh na samjho muskura raha hoon main
bas apna gum utha raha hoon main...
*
do pal ki zindagi hai kat jaane do ise
tere-mere kisse-kahaniyon ke mehal saaja raha hoon main...
*
kisko parwah hai
kab din hoga
kab raat hogi
chiragon mein apni subah-shaam beeta raha hoon main...

*
bas tumse itna kehna hai
tum hamesha safar mein rehna
lehron ke saath, lehraate rehna
intezaar mein tere beech-raaste par zindagi beeta raha hoon main...
*
yeh na samjho muskura raha hoon main...

#Romil

यह ना समझो मुस्कुरा रहा हूँ मैं
बस अपना ग़म उठा रहा हूँ मैं...

दो पल की ज़िंदगी है कट जाने दो इसे
तेरे-मेरे किस्से-कहानियों के महल सजा रहा हूँ मैं...

किसको परवाह है
कब दिन होगा
कब रात होगी
चिरागों में अपनी सुबह-शाम बिता रहा हूँ मैं...

बस तुमसे इतना कहना है
तुम हमेशा सफर में रहना
लहरों के साथ, लहराते रहना
इंतेज़ार में तेरे बीच-रास्ते पर ज़िन्दगी बिता रहा हूँ मैं...

यह ना समझो मुस्कुरा रहा हूँ मैं...

#रोमिल

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