उफ़ उसकी बेरुखी ने इस कदर मेरे दिल में सन्नाटा फैला दिया
वोह पास से गुज़ारा एक आहट न सुनाई दिया...
क़दमों में बांध रखी थी उसने आंसू की ज़ंजीर
मुझको कभी आंसू के समुंदर में उतरने न दिया...
औरों के डर से उसने कर लिया मुझसे किनारा
दुनिया में मुझे बदनाम होने न दिया...
उसे बेवफा कहूँ तोह कैसे कहूँ रोमिल
रूह-ए-मोहब्बत में उनसे मुझे पाक कर दिया...
No comments:
Post a Comment