Monday, April 18, 2011

कोइए फूल, खिले बिना ही टूट गया

कोइए फूल, खिले बिना ही टूट गया 
कोइए खवाब पूरा हुआ बिना ही रह गया 
हम बेगानों से कुछ इस तरह मिले कि 
अपनों से रिश्ता ही टूट गया...
रात की डोली में कुछ ऐसे सवार हुए 
सवेरे से हाथ ही छूट गया 
जाए तो अब जाए किदर रोमिल  
रास्ते में तन्हा खड़े हैं 
कारवां से नाता ही टूट गया...

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