Wednesday, May 25, 2011

मोहब्बत की बस्तियां जलाने के लिए

मोहब्बत की बस्तियां जलाने के लिए 
मेरे शहर में अब भी कुछ लोग है 
शाख से परिंदों को उड़ाने के लिए...

खता एक की
सजा पूरी कायनात के लिए - २ 
मेरे शहर में अब भी कुछ लोग है 
चिंगारी को आग बनाने के लिए...

मंदिर, मस्जिद की लड़ाई लड़ाने के लिए 
मेरे शहर में अब भी कुछ लोग है 
जात पात की दीवार बनाने के लिए...

ईमानदारी की बूँद - बूँद को मिटाने के लिए 
मेरे शहर में अब भी कुछ लोग है रोमिल 
पानी में भ्रष्टाचार का ज़हर मिलाने के लिए...





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