Saturday, June 18, 2011

उसके दीदार के लिए दिल मुद्दत से बेकरार था

उसके दीदार के लिए दिल मुद्दत से बेकरार था
नसीब तो नहीं थे मिलने के,
फिर भी आँखों को इंतज़ार था...
*
छोड़ कर राह में अकेला, चल दिया मुझको हुकू 
मैं बैठा रहा रास्ते में तन्हा
मुझे उसके लौट आने का ऐतबार था...
*
मिलकर रुखसत भी न कर सका हुकू को
मेरे रब का यह कैसा इन्साफ था...
*
आज तक यह नहीं समझ पाया
क्यों मेरी ज़िन्दगी में, नहीं हुकू का प्यार था...

#रोमिल

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