उसके दीदार के लिए दिल मुद्दत से बेकरार था
नसीब तो नहीं थे मिलने के,
फिर भी आँखों को इंतज़ार था...
*
छोड़कर राह में अकेला, चल दिया मुझको
नसीब तो नहीं थे मिलने के,
फिर भी आँखों को इंतज़ार था...
*
छोड़कर राह में अकेला, चल दिया मुझको
मैं बैठा रहा रास्ते में तन्हा
मुझे उसके लौट आने का ऐतबार था...
*
मिलकर रुखसत भी न कर सका उसको
मेरे रब का यह कैसा इन्साफ था...
*
आज तक यह नहीं समझ पाया
क्यों मेरी ज़िन्दगी में, नहीं उसका प्यार था...
मुझे उसके लौट आने का ऐतबार था...
*
मिलकर रुखसत भी न कर सका उसको
मेरे रब का यह कैसा इन्साफ था...
*
आज तक यह नहीं समझ पाया
क्यों मेरी ज़िन्दगी में, नहीं उसका प्यार था...
#रोमिल
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