Sunday, September 4, 2011

कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं...

कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं
बहती हुई नदी की तरह हैं
पूछे माझी से तेरा पता क्या हैं
आया तू कहाँ से
जाना तुझे कहाँ हैं
कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं...

कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं
बहती हुई हवा की तरह हैं
पूछे टूटे हुए पत्ते से तेरा ठीकाना कहाँ हैं
आया तू कहाँ से
जाना तुझे कहाँ हैं
कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं...

कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं
एक अनजान रास्ता हैं
पूछे मुसाफिर से तेरा पता क्या हैं
आया तू कहाँ से
जाना तुझे कहाँ हैं
कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं...

#रोमिल

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