Wednesday, September 28, 2011

यहाँ जो डूब जाता हैं फिर उभरता नहीं...

क्यों अपनी डूबी हुई ज़िन्दगी का किनारा तलाशते हो रोमिल
यह मोहब्बत-ए-सागर हैं, यहाँ जो डूब जाता हैं फिर उभरता नहीं...

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