सुबह यादों में बीत जाती हैं
रात इंतज़ार में बीत जाती हैं...
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काफिले-काफिले बदलते रहते हैं
ज़िन्दगी सफ़र में बीत जाती हैं...
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वोह वादा करके मिलाने न आये तो
फ़िक्र उसकी मुझे खा जाती हैं...
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कैसे भूल जायुं उसकी मुस्कान रोमिल
वोह ही तो सांसें चलाना सीखती हैं...
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