Thursday, October 13, 2011

कितनी हसरत थी

कितनी हसरत थी
तुमको अपना बनाने की
खवाब सजाने की
तेरे संग दुनिया बसाने की ...
~*~
आँचल में तेरे छुप जाये आसमान
चाँद भी तेरा दीदार करे
कितनी हसरत थी
तुझको सजाने की...
~*~
तुझसे ही तो मेरे घर की पहचान होगी
तू ही तो मेरी आरज़ू, मेरे अरमान होगी
कितनी हसरत थी
तुझको अपना साया बनाने की...
~*~
दुनिया देखेगी, मोहब्बत अपनी
बंदगी अपनी, चाहत अपनी
कितनी हसरत थी
तुझको अपना रब बनाने की...
~*~
कितनी हसरत थी रोमिल
तुमको अपना बनाने की
खवाब सजाने की
तेरे संग दुनिया बसाने की ...
[प्रेरित]

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