अब कुछ भी लिखने को मन नहीं करता,
फिर भी कलम में स्याही डालता रहता हूँ,
शायद मैं मरने से पहले कुछ कहना चाहता हूँ...
सभी खवाब मेरे बिखर चुके है,
फिर भी रोज़ खवाबो की माला मैं बुनता रहता हूँ,
शायद मैं मरने से पहले खवाबो को सच होता देखना चाहता हूँ....
अगर रब मिलेगा कभी,
तो उससे पूछूँगा सवाल बहुत सारे,
पर लोग कहते है मरने से पहले वोह किसी से मिलता नहीं है,
फिर भी रोज़ मैं उससे मिलाने की खवाइश दिल में बुनता रहता हूँ,
शायद मैं मरने से पहले रब से कुछ बातें पूछना चाहता हूँ....
मैं मरने से पहले रोमिल दिल को एक बार खुश देखना चाहता हूँ!
फिर भी कलम में स्याही डालता रहता हूँ,
शायद मैं मरने से पहले कुछ कहना चाहता हूँ...
सभी खवाब मेरे बिखर चुके है,
फिर भी रोज़ खवाबो की माला मैं बुनता रहता हूँ,
शायद मैं मरने से पहले खवाबो को सच होता देखना चाहता हूँ....
अगर रब मिलेगा कभी,
तो उससे पूछूँगा सवाल बहुत सारे,
पर लोग कहते है मरने से पहले वोह किसी से मिलता नहीं है,
फिर भी रोज़ मैं उससे मिलाने की खवाइश दिल में बुनता रहता हूँ,
शायद मैं मरने से पहले रब से कुछ बातें पूछना चाहता हूँ....
मैं मरने से पहले रोमिल दिल को एक बार खुश देखना चाहता हूँ!
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