Thursday, November 24, 2011

क्या करू...

यह साल भी बीता बिना बरसात के
मैं आंसू न बहाऊ तो क्या करू...
*!*
इंतज़ार में कटती नहीं रातें
मैं शमा न जलाऊ तो क्या करू...
*!*
उनसे जब पूछे बेवफाई की वजह हैं क्या
वोह तब भी कुछ न बताये तो क्या करू...
*!*
यूंह तो तेरी महफ़िल में मिलते हैं सब गले
कोइए दिल से नहीं मिलता तो क्या करू...
*!*
कोइए नहीं हैं अपना इस शहर में
तेरा शहर न छोड़ जाऊ तो क्या करू...

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