हम उसी दिन समझ गए थे "नाज़"
जिस दिन उसने हमसे ऊँची आवाज़ में बात की थी...
मेरी सारी उम्मीद ख़ाक की थी...
जिसके शब्दों में रहती थी हमेशा मिठास
उसके शब्दों में करवाहत थी...
मेरी मोहब्बत-ए-बस्ती बर्बाद थी..
~*~
हम उसी दिन समझ गए थे "नाज़"
जिस दिन उसने किसी गैर से मुलाक़ात की थी...
तेज़ हवाओं में मेरी जज़्बात की धज्जियाँ उजाड़ दी थी...
~*~
रो दिए हम देखकर तेरा भी मिजाज़ "नाज़"
तूने भी रब की सुनी
रोमिल के एहसासों की न तुझे कोई फ़िक्र थी...
न रोमिल के खवाबों की कोइए एहमियत थी...
जिस दिन उसने हमसे ऊँची आवाज़ में बात की थी...
मेरी सारी उम्मीद ख़ाक की थी...
जिसके शब्दों में रहती थी हमेशा मिठास
उसके शब्दों में करवाहत थी...
मेरी मोहब्बत-ए-बस्ती बर्बाद थी..
~*~
हम उसी दिन समझ गए थे "नाज़"
जिस दिन उसने किसी गैर से मुलाक़ात की थी...
तेज़ हवाओं में मेरी जज़्बात की धज्जियाँ उजाड़ दी थी...
~*~
रो दिए हम देखकर तेरा भी मिजाज़ "नाज़"
तूने भी रब की सुनी
रोमिल के एहसासों की न तुझे कोई फ़िक्र थी...
न रोमिल के खवाबों की कोइए एहमियत थी...
#रोमिल
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