Monday, January 9, 2012

रुख से हटा के बालों को, दर्द-ए-दिल दे दिया, हम दिलवालों को...

आज कल हमारे अवध (लखनऊ) का मौसम कुछ मस्ताना हैं...

रुख से हटा के बालों को
दर्द-ए-दिल दे दिया, हम दिलवालों को...
~
हल्की-हल्की बारिश की बूंदों में
जो उसने मुडकर देखा हम मनचलों को..

दूर तक देखती रही मेरी नज़रे
उस जाने वाले को...
~
हल्के से उसके दामन के इशारे ने
एक और उलझन दे गया मेरे ख़्वाबों को
मेरे ख्यालों को....
~
प्यारी से मुस्कुराहट उसकी, मुझे यह तो समझा गई
मेरी तड़पती नज़रों का कुछ तो असर हुआ हैं हुस्नवाले को...
~
रुख से हटा के बालों को
दर्द-ए-दिल दे दिया, हम दिलवालों को...

2 comments:

pari said...

nice one..

koi nai ahat hai ye apke zndgi ke..ya ye nani hai

ROMIL ARORA said...

sukriya...

"koi aera-gera ilaaz kar sake hamara, hum woh rogi nahi,
talab sirf uski hai romil, warna mehfil mein jaamo ki kami nahi"