आज कल हमारे अवध (लखनऊ) का मौसम कुछ मस्ताना हैं...
रुख से हटा के बालों को
दर्द-ए-दिल दे दिया, हम दिलवालों को...
~
हल्की-हल्की बारिश की बूंदों में
जो उसने मुडकर देखा हम मनचलों को..
दूर तक देखती रही मेरी नज़रे
उस जाने वाले को...
~
हल्के से उसके दामन के इशारे ने
एक और उलझन दे गया मेरे ख़्वाबों को
मेरे ख्यालों को....
~
प्यारी से मुस्कुराहट उसकी, मुझे यह तो समझा गई
मेरी तड़पती नज़रों का कुछ तो असर हुआ हैं हुस्नवाले को...
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रुख से हटा के बालों को
दर्द-ए-दिल दे दिया, हम दिलवालों को...
रुख से हटा के बालों को
दर्द-ए-दिल दे दिया, हम दिलवालों को...
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हल्की-हल्की बारिश की बूंदों में
जो उसने मुडकर देखा हम मनचलों को..
दूर तक देखती रही मेरी नज़रे
उस जाने वाले को...
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हल्के से उसके दामन के इशारे ने
एक और उलझन दे गया मेरे ख़्वाबों को
मेरे ख्यालों को....
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प्यारी से मुस्कुराहट उसकी, मुझे यह तो समझा गई
मेरी तड़पती नज़रों का कुछ तो असर हुआ हैं हुस्नवाले को...
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रुख से हटा के बालों को
दर्द-ए-दिल दे दिया, हम दिलवालों को...
#रोमिल
2 comments:
nice one..
koi nai ahat hai ye apke zndgi ke..ya ye nani hai
sukriya...
"koi aera-gera ilaaz kar sake hamara, hum woh rogi nahi,
talab sirf uski hai romil, warna mehfil mein jaamo ki kami nahi"
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