Fir is baar Baarish mein makaan deh gaya...
Azan hui Amma fir chal padi Namaz padne...
Maine kahan... Rehan do us be-reham Khuda ke yahan haazri lagane se...
Amma boli...
Bas ise hi Mohabbat kehte hai puttar ji... yahi hoti hai Mohabbat...
Jo sirf dena janti hai, lena nahi...
Mujhe mere Maalik se mohabbat hai...
Waise Namaz hum khud ke liye padte hai... Farz hai...
#Romil
फिर इस बार मकान ढह गया...
अज़ान हुई, अम्मा चल पड़ी नमाज़ पढ़ने...
मैंने कहाँ... रहन दो उस बेरहम ख़ुदा के यहाँ हाज़री लगाने से...
अम्मा बोली...
बस इसे ही मुहब्बत कहते है पुत्तर जी...
यहीं होती है मुहब्बत...
जो सिर्फ देना जानती है, लेना नही...
मुझे मेरे मालिक से मुहब्बत है...
वैसे नमाज़ हम ख़ुद के लिए पढ़ते है... फर्ज़ है...
#रोमिल
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