Thursday, February 6, 2020

रास्तों में ही उलझ के भटक जाओगी...

यह ज़िद, 
यह समाज... 
की दीवारें तुमने ही तो खड़ी की है 
बिना इसको तोड़े कैसे आ पाओगी...

रास्तों में ही उलझ के भटक जाओगी... 

- #रोमिल 

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