Thursday, August 11, 2011

पेड़ से टूट कर टहनी की ज़िन्दगी क्या है?

अपनों से बिछड़कर,
यही सोचता हूँ मैं रोमिल,
कि पेड़ से टूट कर टहनी की ज़िन्दगी क्या है?

लोग कहते हैं मैं देवदास बना फिरता हूँ!


होंठों पर हंसी
दिल में गम लिए फिरता हूँ
लोग कहते हैं मैं देवदास बना फिरता हूँ!
***
पारो (नाज़) को
हर चंद्रमुखी में ढूँढता फिरता हूँ
लोग कहते हैं मैं देवदास बना फिरता हूँ!
***
बचपन की यादें
पारो (नाज़) की बातें याद किया करता हूँ
लोग कहते हैं मैं देवदास बना फिरता हूँ!
***
हूँ नाशे में,
मुझे होश नहीं
मैं यादों का हर पल जाम पिया करता हूँ
रोमिल, लोग कहते हैं मैं देवदास बना फिरता हूँ!

#रोमिल

Wednesday, August 10, 2011

मेरी प्यारी बहन

मेरी प्यारी बहन,
आज तुझे वही बचपन का प्यार दूँ,
अपनी बाहों का तुझे हार दूँ,
वही खट्टी-मीठी तकरार दूँ,
वही स्नेह, वही दुलार दूँ,
मेरी प्यारी गुडिया सी बहन,
तुझे खुशियों का आशीर्वाद दूँ...

तेरी हर छोटी से छोटी जिद्द पूरी कर दूँ,
अपने कंधे पर बैठा कर झुला, झूला दूँ,
तेरी नज़रे उतारू,
तेरी मुस्कान पर अपनी ज़िन्दगी वार दूँ,
मेरी प्यारी गुडिया सी बहन,
तुझे खुशियों का आशीर्वाद दूँ...

#रोमिल

Tuesday, August 9, 2011

बिस्तर पर सन्नाटा सा ठहरा रहता है

बिस्तर पर सन्नाटा सा ठहरा रहता है
कमरा भी रात भर सुना-सुना सा रहता है
रोमिल, रात न जाने कहाँ छुप सी गई है
अब तोह आँखों में हर पल सवेरा सा रहता है...

तेरा मेरा रिश्ता राधा-कृष्ण जैसा...

तेरा मेरा रिश्ता
राधा-कृष्ण जैसा,
रब के घर में यह चर्चा, 
राधा-कृष्ण जैसा.
चाहे चाँद से, चाहे सितारों से पूछो,
चाहे आसमान से, चाहे बादलो से पूछो,
चाहे फूल से, चाहे बागों से पूछो,
चाहे इस दुनिया के जर्रे-जर्रे से पूछो,
सब कहेंगे कि 
तेरा मेरा रिश्ता
राधा-कृष्ण जैसा.


हमारा इश्क,
हमारी वफाएं ,
हमारा विश्वास,
दूर-दूर है हम-तुम बस एक- दूसरे का एहसास 
यही तेरा-मेरा आसरा जैसा,
यह आसरा 
राधा-कृष्ण जैसा.

क्यों इतना खामोश रहती हो,
क्यों व्योग में जलती रहती हो,
क्यों मिलन के लिए 
तड़पती हो,
रब खुद यह कहता है रोमिल,
तेरा मेरा रिश्ता
राधा-कृष्ण जैसा.

#रोमिल

Monday, August 8, 2011

तेरे लिए...

आज भी आधा बिस्तर खाली छोड़ कर सोता हूँ तेरे लिए
आज भी चारपाई के सरहाने सुरहाई में पानी भरकर रखता हूँ तेरे लिए
आज भी मेज की पहली दराज़ में टूटा हुआ चश्मा, दूर की नज़र वाला रखा हुआ है तेरे लिए
आज भी चारपाई के सामने वाली खिड़की पर वही नीले सितारों रंग वाला पर्दा लटका रखा है तेरे लिए   
आज भी गुलदान में गुलाब के फूल सज़ा कर रखता हूँ तेरे लिए
आज भी मेज के किनारे तेरी पसंद की किताबें रखी है तेरे लिए
आज भी घर से निकलने से पहले खाली फ़्रेम पर फूल चढ़ाना नहीं भूलता हूँ तेरे लिए...

आज भी लोग राज को पागल समझते है
आज भी राज मुस्कुराकर सबके सवाल टाल जाता हूँ
आज भी... तेरे लिए...

#रोमिल

Thursday, August 4, 2011

रमजान आ गया, रमजान आ गया .

उम्मीदों का फिर चाँद नज़र आ गया,
रमजान आ गया, रमजान आ गया.
~*~
अल्लाह से मिलने का दिन आ गया,
रमजान आ गया, रमजान आ गया.
~*~
इबादतों का दिन आ गया,
रमजान आ गया, रमजान आ गया. 
रोमिल रमजान आ गया, रमजान आ गया.