mere dost
tujhe meri dosti ki qasam
aa fir mujhe apni dosti ka sahara de de
woh beete din
woh khushiyon ka shama de de...
मेरे दोस्त
तुझे मेरी दोस्ती की कसम
आ फिर मुझे अपनी दोस्ती का सहारा दे दे
वो बीते दिन
वो खुशियों का शमां दे दे...
~*~
teri yaadon mein
main soya nahi hu barson se
aa fir meri aankhon ko haseen nazara de de...
mere dost
tujhe meri dosti ki qasam
aa fir mujhe apni dosti ka sahara de de...
तेरी यादों में मैं सोया नहीं हूं बरसों से
आ फिर मेरी आंखों को हसीन नजारा दे दे...
मेरे दोस्त
तुझे मेरी दोस्ती की कसम
आ फिर मुझे अपनी दोस्ती का सहारा दे दे...
~*~
bhool jaun main woh manzar, woh lamhe kaise
saath bitaiye the jo pal humne
fir unhi lamhon ka sahara de de
mere dost
tujhe meri dosti ki qasam
aa fir mujhe apni dosti ka sahara de de...
भूल जाऊं मैं वो मंजर, वो लम्हे कैसे
साथ बिताए थे जो पल हमने
फिर उन्हीं लम्हों का सहारा दे दे...
मेरे दोस्त
तुझे मेरी दोस्ती की कसम
आ फिर मुझे अपनी दोस्ती का सहारा दे दे...
~*~
yaad hai mujhko
woh sharam se jhuki aankhen teri
chehare se barasta hua noor
jaise koi fariste ka deedar kiya tha maine
fir meri nazaron ko wahi deedar kara de
mere dost tujhe
meri dosti ki qasam
aa fir mujhe apni dosti ka sahara de de...
याद है मुझको वह शर्म से झुकी आंखें तेरी
चेहरे से बरसता हुआ नूर
जैसे कोई फरिश्ते का दीदार किया था मैंने
फिर मेरी नजरों को वही दीदार करा दे
मेरे दोस्त
तुझे मेरी दोस्ती की कसम
आ फिर मुझे अपनी दोस्ती का सहारा दे दे...
~*~
zindagi ke kuch pal saath bitaiye the humne
main yeh zindagi tere saath bitana chahta hu
tere chehare ko samajhkar chand
chandni raat mein pyar karna chahta hu
fir mujhe apni baahon ka sahara de de
mere dost tujhe
meri dosti ki qasam
aa fir mujhe apni dosti ka sahara de de...
जिंदगी के कुछ पल साथ बिताए थे हमने
मैं यह जिंदगी तेरे साथ बिताना चाहता हूं
तेरे चेहरे को समझकर चांद
चांदनी रात में प्यार करना चाहता हूं
फिर मुझे अपनी बाहों का सहारा दे दे...
मेरे दोस्त
तुझे मेरी दोस्ती की कसम
आ फिर मुझे अपनी दोस्ती का सहारा दे दे...
~*~
firta rehta hu teri yaadon ka tajmahal lekar
thak gaya hu teri aarzoo karte-karte
kahi yeh saansein na toot jaye meri
isse pehle meri majboor mohabbat ko sukoon de de...
mere dost tujhe
meri dosti ki qasam
aa fir mujhe apni baahon ka sahara de de...
फिरता रहता हूं तेरी यादों का ताजमहल लेकर
थक गया हूं तेरी आरजू करते-करते
कहीं यह साँसें ना टूट जाए मेरी
इससे पहले मेरी मजबूर मोहब्बत को सुकून दे दे...
मेरे दोस्त
तुझे मेरी दोस्ती की कसम
आ फिर मुझे अपनी दोस्ती का सहारा दे दे...
#Romil
#रोमिल
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