Friday, March 12, 2010

KAASH

~KAASH~
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Uski jo tasveer mere pass hoti
Jab samne woh aati
Maine woh chupke se chupa li hoti...
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Kahin jo mil jaati uski payal
Jhuka ke usse nazare maine chupa li hoti...
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Aaj bhi tanhaiyoon main mehak le raha hota
Uski giri chunari jo maine chupa li hoti...
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Gungunate hue yunh hi chalta rehta mohabbat-e-safar
Jo uski ghazal koiye chupa li hoti...
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Aaise na mit jaati sab chitti uski
Jo dushman-e-jahaan se uski chitthi chupa li hoti...

#Romil

काश

उसकी जो तस्वीर मेरे पास होती
जब सामने मेरे वो आती
मैंने वो चुपके से छुपा ली होती...

कहीं जो मिल जाती उसकी पायल... गिरी हुई...
झुका के उससे नज़रे मैंने वो छुपा ली होती

आज भी तन्हाइयों में महक ले रहा होता...
उसकी गिरी चुनरी जो मैंने छुपा ली होती...

गुनगुनाते हुए यूँही चलता रहता मुहब्बत-ए-सफ़र
जो उसकी डायरी से ग़ज़ल मैंने कोई छुपा ली होती...

ऐसे ना मिट जाती सब चिट्ठियां उसकी 
जो दुश्मन-ए-जहां की नज़रों से उसकी चिट्ठियां छुपा ली होती...

#रोमिल

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