Wednesday, April 27, 2011

चलो किसी रोज़ हमतुम मुकम्मल हो जाये


चलो किसी रोज़ हमतुम मुकम्मल हो जाये 
इश्क में ऐसे रोये की पाक हो जाये...

घडी दो घडी का साथ ही काफी है रोमिल 
जो उसकी नज़रों में हम उतर जाये...

बस एक बार उसके लफ़्ज़ों से मोहब्बत के शब्द सुन ले रोमिल 
फिर चाहे हम खुदा के घर चले जाये...

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