Tuesday, May 3, 2011

मैं भी खुशनसीब होता

मैं भी खुशनसीब होता
दो घडी के लिए साथ जो आपका होता
मैं भी खुशनसीब होता...

गम की बगिया में खुशियों के फूल खिलते
बिछडे हुए गर दो प्रेमी किसी गली में मिलते
चेहचहाता यह गगन सारा 
महक उठता यह चमन सारा
दो घडी के लिए साथ जो आपका होता
मैं भी खुशनसीब होता...

बारिश में भीग जाते जो तुम
किसी मुन्देरी के नीचे जो होते हम तुम
मेरा कोट तेरे बदन को धक् रहा होता
दो घडी के लिए साथ जो आपका होता
मैं भी खुशनसीब होता...

रेत पर छपे होते जो पाँव के निशान तेरे
समुन्दर में लहरों का  उमड़ना होता
हवाओ में उडाता जो दुपट्टा तेरा
मेरे कदमो में पड़ा होता...
दो घडी के लिए साथ जो आपका होता
मैं भी खुशनसीब होता रोमिल...



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