Saturday, June 11, 2011

चुप -चुप कर दीवारों संग रोना पड़ता हैं

चुप -चुप  कर दीवारों संग रोना पड़ता हैं
हर खवाब को मिटा कर सोना पड़ता हैं 
कोइए नहीं होता गम में अपने साथ 
बस रब से गिला करना पड़ता हैं...
***
चहरे को झूठी हंसी के साथ सजाना पड़ता हैं
रास्तों को अपना घर बनाना पड़ता हैं 
किस लिए तुम्हें माफ़ कर दूं रोमिल
वफा का इल्जाम तो उम्र भर सहना पड़ता हैं...

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