Monday, December 12, 2011

बहुत दिनों के बाद तू मुझको याद आया...

बहुत दिनों के बाद तू मुझको याद आया...
पतझड़ के मौसम में बहारों का दिन आया...
***
फिर निकले आंसू, खुशियों का पैगाम आया
मेरे अँधेरे घर में सूरज का सलाम आया...
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पूछ रहा हैं हर लम्हा मुझसे हिसाब
सूखे हुए ज़ख्म से क्यों खून आया...
***
चलते रहना तो मुक़द्दर हैं मुसाफिर का
फिर ज़िन्दगी में क्यों ठराव आया...
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दिल कहता हैं, कह दूं दुनिया-ए-जहां को खुद हाफिज़ रोमिल
मगर मेरे मित्र का अभी नहीं पैगाम आया...
***
बहुत दिनों के बाद तू मुझको याद आया...
पतझड़ के मौसम में बहारों का दिन आया...

#रोमिल

1 comment:

pari said...

hieee,
h r u.howz exams going.well me too busy in preparaton of exams

this is dedicated to u specially,as it describes ur mhbt..

Youn to kai chehry the jinki mohabat milli mujhko
Par dil ki yeh zidd thi agar wo nhi to phir koi bhi nahi