Thursday, December 15, 2011

यहाँ सपने तिनके की तरह बिखर जाते है...

यहाँ सपने तिनके की तरह बिखर जाते है,
हर अपने कांच की चूड़ियों की तरह टूट जाते है,
किस-किसको समेटे अपने आँचल में हम,
ज़िन्दगी की आंधियों में आँचल उड़ जाते है…

कितना बदला-बदला इंसान का चेहरा नज़र आता है,
कभी दोस्त तो कभी दुश्मन यह चेहरा नज़र आता है,
मतलब के रिश्तों की डोर सभी ने अपने हाथों में थाम रखी है,
मुख में राम तो बगल में छूरी छुपा रखी है….

सिर्फ परछाईयों में यार नज़र आते है,
ज़िन्दगी की दौड़ में दोस्त पीछे छूटे हुए नज़र आते है,
दो कदम का साथ पाना तो नामुमकिन है,
रोमिल, यहाँ लोग जनाज़े पर भी मतलब निभाने आते है…..

यहाँ सपने तिनके की तरह बिखर जाते है...

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