जब भी यादों के घर से गुज़रता हूँ
जुबान पर आ जाता हैं नाम तेरा...
***
हर पल तेरी ही उम्मीद में खोया रहता हूँ
किससे पूछू, कौन बताएगा क्या हैं हाल-ए-दिल तेरा...
***
वो ज़माना, वो मोहब्बत बहुत याद आती हैं
मेरी बातों में रात भर जागना तेरा...
***
ज़माने की ख़ाक छानने के बाद मिली थी मंजिल मुझको
मेरे खतों को पढ़कर मुस्कुराना तेरा...
***
अपनी किस्मत पर नाज़ करता था
नसीब को चूम लिया करता था
रोमिल मुझे जब अपना कहना तेरा...
***
जब भी यादों के घर से गुज़रता हूँ
जुबान पर आ जाता हैं नाम तेरा...
जुबान पर आ जाता हैं नाम तेरा...
***
हर पल तेरी ही उम्मीद में खोया रहता हूँ
किससे पूछू, कौन बताएगा क्या हैं हाल-ए-दिल तेरा...
***
वो ज़माना, वो मोहब्बत बहुत याद आती हैं
मेरी बातों में रात भर जागना तेरा...
***
ज़माने की ख़ाक छानने के बाद मिली थी मंजिल मुझको
मेरे खतों को पढ़कर मुस्कुराना तेरा...
***
अपनी किस्मत पर नाज़ करता था
नसीब को चूम लिया करता था
रोमिल मुझे जब अपना कहना तेरा...
***
जब भी यादों के घर से गुज़रता हूँ
जुबान पर आ जाता हैं नाम तेरा...
#रोमिल
No comments:
Post a Comment