Wednesday, December 14, 2011

जब भी यादों के घर से गुज़रता हूँ

जब भी यादों के घर से गुज़रता हूँ
जुबान पर आ जाता हैं नाम तेरा...
***
हर पल तेरी ही उम्मीद में खोया रहता हूँ
किस्से पूछूं, कौन बताएगा क्या हैं हाल-ए-दिल तेरा...
***
वोह ज़माना, वोह मोहब्बत बहुत याद आती हैं
मेरी बातों में रात भर जगाना तेरा...
***
ज़माने की ख़ाक छानने के बाद मिली थी मंजिल मुझको
मेरे खतों को पढ़कर मुस्कुराना तेरा...
***
अपनी किस्मत पर नाज़ करता था
नसीब को चूम लिया करता था
रोमिल मुझे जब अपना कहना तेरा...
***
जब भी यादों के घर से गुज़रता हूँ
जुबान पर आ जाता हैं नाम तेरा...

No comments: