Wednesday, December 21, 2011

आँखें

खामोश आँखें कुछ बयान करती है,
कुछ बातें वोह सर-ए-आम करती है.
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तुम्हारे होंठ भी चुप रहे,
हमारे होंठ भी गुमसुम,
बस आँखों से आँखें गुफ्तगू करती है.
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सोचता हूँ रोमिल, सलाम कर लूं इन आँखों को,
जो झुका कर दुआ हमारे लिए करती है.
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तुम आ जाओ बस हमारी बाहों में रोमिल,
यह आँखें तुम्हारा इंतज़ार करती है.

#रोमिल

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