Sunday, January 1, 2012

बात पुरानी नहीं हुई हैं यह

बात पुरानी नहीं हुई हैं यह
सागर आज भी साहिल को देखकर अंगड़ाई लेता हैं...
*
सावन का मौसम जब-जब आये
मोर अपने पंख फैला ही लेता हैं...
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चाहे गुलाब किताबों में रखा कितना भी पुराना क्यों न हो जाये
आज भी बीती यादें दिल में जगा ही देता हैं...
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चेहरा बदल जाये
उम्र ढल जाये
मगर एहसास न जुदा हो
साज़ चाहे कितना भी पुराना क्यों न हो रोमिल
होंठों पर आये तो तराना बना ही देता हैं...

#रोमिल

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