Wednesday, August 15, 2018

Sirf dikhawa hai tera yeh kehna...

Sirf dikhawa hai tera yeh kehna...
Main Rab ke siwa kisi ko nahi pujti...

But-Parasti na sahi par in Jewaraton-Gehno ko to pujti hi ho...
Jism pe Ishq ka Itra lagana shayad teri shaan-o-shauqat ke khilaaf tha... Jo in Heere-Sone-Chandi ke Jevar ko naagon ki tarah liptaye rehti ho...

But-Parasti na sahi par Daulat ko to pujti hi ho... 
Is Enta-mitti se bani dar-o-deewar yeh Makaan ko to pujti hi ho...

Nahi to fir aisa nahi hota tere badan se mere ishq ki khushboo mehak rahi hoti...

Sirf dikhawa hai tera...

#Romil

सिर्फ़ दिखावा है तेरा यह कहना...
मैं रब के सिवा किसी को नहीं पूजती...

बूत-परस्ती ना सही पर इन जेवरातों-गहनों को तो पूजती ही हो...
ज़िस्म पे इश्क़ का इत्र लगाना शायद तेरी शान-ओ-शौक़त के खिलाफ था... जो इन हीरे-चाँदी के जेवर को नागों की तरह लिपटाये रहती हो...

बूत-परस्ती ना सही पर दौलत को तो पूजती ही हो...
इस ईंट-मिट्टी की बनी दर-ओ-दीवार यह मकान को तो पूजती ही हो...

नही तो फिर ऐसा नही होता तेरे बदन से मेरे इश्क़ की खुशबू महक रही होती...

सिर्फ दिखावा है तेरा...

#रोमिल

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