Sunday, May 3, 2020

राधा स्वामी जी - हरि की वडिआई देखहु संतहु हरि निमाणिआ माणु देवाए ॥

राधा स्वामी जी 

हरि की वडिआई देखहु संतहु हरि निमाणिआ माणु देवाए ॥ 
तेरे कवन कवन गुण कहि कहि गावा तू साहिब गुणी निधाना ॥ 
तुमरी महिमा बरनि न साकउ तूं ठाकुर ऊच भगवाना ॥१॥ 
हरि की वडिआई देखहु संतहु हरि निमाणिआ माणु देवाए ॥ 

॥ मै हरि हरि नामु धर सोई ॥ 
॥ मै हरि हरि नामु धर सोई ॥ 
जिउ भावै तिउ राखु मेरे साहिब मै तुझ बिनु अवरु न कोई ॥१॥
हरि की वडिआई देखहु संतहु हरि निमाणिआ माणु देवाए ॥ 


मै ताणु दीबाणु तूहै मेरे सुआमी मै तुधु आगै अरदासि ॥ 
मै होरु थाउ नाही जिसु पहि करउ बेनंती मेरा दुखु सुखु तुझ ही पासि ॥२॥ 
हरि की वडिआई देखहु संतहु हरि निमाणिआ माणु देवाए ॥ 


विचे धरती विचे पाणी विचि कासट अगनि धरीजै ॥ 
बकरी सिंघु इकतै थाइ राखे मन हरि जपि भ्रमु भउ दूरि कीजै ॥३॥ 
जिउ धरती चरण तले ते ऊपरि आवै तिउ नानक साध जना जगतु आणि सभु पैरी पाए ॥४॥१॥१२॥ 
||4||1||12||
हरि की वडिआई देखहु संतहु हरि निमाणिआ माणु देवाए ॥

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