Wednesday, September 16, 2020

राधास्वामी जी - चंगिआईआ बुरिआईआ, वाचै धरमु हदूरि || करमी आपो आपणी, के नेड़े के दूरि ||

चंगिआईआ बुरिआईआ, वाचै धरमु हदूरि ||
करमी आपो आपणी, के नेड़े के दूरि ||

Changaaiya buryaaiyaa vaachey dharam hadoor.
Karmi aapo apni ke ne re ke dur.

धर्मराज का रूप होकर परमात्मा स्वयं ही हमारे अन्दर बैठकर हमारे अच्छे बुरे कर्मो को देखता है।
अत: अपने-अपने कर्मानुसार कोई तो परमात्मा के समीप होते जाते है और कोई दूर।

(बाबा जी, प्रश्न-उत्तर सत्र के दौरान संगतों, सेवादारों को जपुजी साहिब जी की वाणी "करमी आपो आपणी, के नेड़े के दूरि" मुख्यतः समझाते है और भजन-सिमरन करने के लिए कहते है)

राधास्वामी जी 🙏

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