चंगिआईआ बुरिआईआ, वाचै धरमु हदूरि ||
करमी आपो आपणी, के नेड़े के दूरि ||
Changaaiya buryaaiyaa vaachey dharam hadoor.
Karmi aapo apni ke ne re ke dur.
अत: अपने-अपने कर्मानुसार कोई तो परमात्मा के समीप होते जाते है और कोई दूर।
(बाबा जी, प्रश्न-उत्तर सत्र के दौरान संगतों, सेवादारों को जपुजी साहिब जी की वाणी "करमी आपो आपणी, के नेड़े के दूरि" मुख्यतः समझाते है और भजन-सिमरन करने के लिए कहते है)
राधास्वामी जी 🙏
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