Sunday, August 21, 2011

ज़िन्दगी लूटा कर तेरा नाम पाया है

ज़िन्दगी लूटा कर तेरा नाम पाया है 
रोमिल, मैंने भी वफ़ा में क्या इनाम पाया है...

Saturday, August 20, 2011

वोह चाँद नहीं मिलता!

किसी को मन चाही मंजिल नहीं मिलती
किसी को कारवां नहीं मिलता,
दुनिया में इंसान तो मिल जाते है,
मगर कोइए अपना नहीं मिलता,
आसमान में तारों की तरह बिखर जाते है अरमान इस दिल के,
दिल में आरज़ू हो जिसकी वोह चाँद नहीं मिलता!
रोमिल वोह चाँद नहीं मिलता!

Friday, August 19, 2011

खुदा के घर तो मेरा रोज़ का आना-जाना हैं.

वोह सोचती थी कि मौत पाकर मुझसे पीछा छुड़ा लेगी रोमिल
मगर वोह यह जानती नहीं खुदा के घर तो मेरा रोज़ का आना-जाना हैं.

Thursday, August 18, 2011

मन बेचने से

रोमिल, मन बेचने से लाख गुना अच्छी
औरत वोह है जो अपना तन बेचती है.

Wednesday, August 17, 2011

कुछ कीमती चीज़ खुदा के घर में मिलाती है!

हर चीज़ मिल जाये इसी दुनिया में यह मुमकिन नहीं रोमिल,

कुछ कीमती चीज़ खुदा के घर में मिलती है!

#रोमिल अरोरा

Tuesday, August 16, 2011

मैं नहीं हूँ मैं...

रात भर सो न सका मैं
तेरे आने के इंतज़ार में रहा मैं...
~*~
जब दिखा नहीं मुझे चाँद
घने बादलों को देख रो पड़ा मैं...
~*~
यूँही तरफ्ता रहा
बेबस रोता रहा
रब से शिकायत करता रहा
क्यों उससे जुदा हुआ मैं...
~*~
यूं तो जिंदा हूँ
सांसें ले रहा हूँ
कभी-कभी मुस्कुरा भी रहा हूँ
तेरी जुदाई से मन ही मन जले जा रहा हूँ मैं...
~*~
एक बार करीब आकर तो देख
तेरे बगैर रोमिल
मैं नहीं हूँ मैं...

Monday, August 15, 2011

लोग मीलों जाकर भी नहीं भूलते हैं अपनों को

लोग मीलों जाकर भी नहीं भूलते हैं अपनों को
उसकी तरह क्या बिछड़ता हैं कोइए?
____
खफा रहे वोह मुझसे कोइए गिला नहीं
कभी-कभी नज़रे तो मिला सकती हैं...
उसकी तरह क्या नज़रे फेर लेता हैं कोइए?
_____
हवा भी दरवाज़ा धकेल कर घर में घुस आती हैं
कभी तुम भी हवा की तरह घर में आ जाया करो
क्या इतना भी हक अपनों पर रखता नहीं कोइए?
_____
सुबह होते ही चिड़िया आकर बैठ गई मेरे घर की मुंडेरी पर
मैं दूर सड़क तक तुम्हारा रास्ता देखता रहा
फिर रब से बोला क्या अपने घर का रास्ता भूल जाता हैं कोइए?
_____
एक परेशानी रहती हैं
उलझा रहता हूँ इस बात में
आखिर क्या वजह थी जुदाई की
"उसने कहाँ था...
दौलत और जिस्म दो ही चीज़ हैं इस दुनिया में"
आओ फिर से सोच कर देखे
शायद इससे बेहतर वजह हो कोइए?
_____
लोग मीलों जाकर भी नहीं भूलते हैं अपनों को रोमिल
उसकी तरह क्या बिछड़ता हैं कोइए?