Thursday, September 8, 2011

अपने रब की रहमत कहता हूँ!

दुनिया-ए -जहाँ, जो मेरी मुहब्बत को कहती है मेरा पागलपन
रोमिल, मैं उसे अपने रब की रहमत कहता हूँ!

#रोमिल अरोरा

Wednesday, September 7, 2011

तमाशा बनकर, खुद्दार नहीं जिया करते!

जिम्मेदारियों ने मुझे क़ैद करके रखा हुआ हैं रोमिल
वरना तमाशा बनकर, खुद्दार नहीं जिया करते!

#रोमिल अरोरा

Tuesday, September 6, 2011

आज भी खुशबू तेरे ख़त से आती हैं...

आज भी खुशबू तेरे ख़त से आती हैं
आज भी ख़त पढ़ लू तो आँखों से नींद छीन जाती हैं...
*
आज भी तेरे लिखे शब्दों पर गुमान होता हैं
आज भी हर पल तेरे नाम होता हैं...
*
आज भी शब्द तेरे नगमे बनकर हवा में बिखर जाते हैं
आज भी शब्द तेरे फिजाओं में गाते हैं...
*
आज भी ज़िन्दगी रोशन हो जाती हैं रोमिल
आज भी खतों में छुपी तेरी मोहब्बत बड़ी याद आती हैं...


#रोमिल अरोरा

Monday, September 5, 2011

मैं भी कितना पागल था

मैं भी कितना पागल था
तितलियों के नाम रखा करता था...
***
जब फूल खिलते थे
मैं तुम्हारा अक्स ढूँढा करता था...
मैं भी कितना पागल था
तितलियों के नाम रखा करता था...
***
तपती धुप में
सर्द हवाओं में
बारिशों में
मैं तेरे पीछे पीछे भगा करता था...
मैं भी कितना पागल था
तितलियों के नाम रखा करता था...
***
जब तुम नहीं आती थी
तेरी यादों में उलझा -उलझा रहता था
सुबह से शाम तक उदास इंतज़ार करता रहता था
मैं भी कितना पागल था
तितलियों के नाम रखा करता था...
***
मैं भूल गया था
तितलियों के तो पंख भी होते हैं
खुशबू की चाहत में वोह दूर उड़ जाती हैं
फिर कभी लौट कर नहीं आ पाती...
फासले बढ़ जाते हैं...
मैं भी कितना पागल था
तितलियों के नाम रखा करता था...
***
रोमिल मैं भी कितना पागल था...

Sunday, September 4, 2011

कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं...

कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं
बहती हुई नदी की तरह हैं
पूछे माझी से तेरा पता क्या हैं
आया तू कहाँ से
जाना तुझे कहाँ हैं
कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं...

कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं
बहती हुई हवा की तरह हैं
पूछे टूटे हुए पत्ते से तेरा ठीकाना कहाँ हैं
आया तू कहाँ से
जाना तुझे कहाँ हैं
कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं...

कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं
एक अनजान रास्ता हैं
पूछे मुसाफिर से तेरा पता क्या हैं
आया तू कहाँ से
जाना तुझे कहाँ हैं
कैसे कहूँ की ज़िन्दगी क्या हैं...

#रोमिल

Friday, September 2, 2011

एहसास

यह अलग बात है रोमिल इसका एहसास उसके जैसा है
मगर हू-बा-हू यह कहाँ मेरे महबूब जैसा है...

#रोमिल

Thursday, September 1, 2011

रोमिल... तुमसा

रोमिल... तुमसा  कोइए होगा इस क़यामत में कबूल नहीं हमको
चाहे खुदा रहे या फिर न रहे...

#रोमिल