Sunday, March 14, 2010

ya yeh kahu...

mumkin nahi hai yaar main tujhko maaf kar saku
ya yeh kahu...
fir se teri mohabbat par aitbaar kar saku...
***
ya yeh kahu...
mujhe raste mein tanha chhodkar jaane wale ko
kaise apna humsafar maan saku...
***
ya yeh kahu...
jisne hamesha bola ho humse jhoot
kis tarah uski baaton par yakeen kar saku...
***
ya yeh kahu...
jisne accident ke samay bhi mera haal nahi pucha
usse kaise apna har sukh-dard ka rishta jod saku...

#Romil

मुमकिन नहीं है यार मैं तुझको माफ कर सकूं 
या यह कहूं 
फिर से तेरी मोहब्बत का ऐतबार कर सकूं...

या यह कहूं 
मुझे रास्ते में तन्हा छोड़कर जाने वाले को 
कैसे अपना हमसफर मान सकूं... 

या यह कहूं 
जिसने हमेशा बोला हो हमसे झूठ 
किस तरह उसकी बातों में पर यकीन कर सकूं... 

या यह कहूं 
जिसने एक्सीडेंट के समय भी मेरा हाल नहीं पूछा 
उसे कैसे अपना हर सुख दुख का रिश्ता जोड़ सकूं...

#रोमिल

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