Tuesday, June 14, 2011

कुछ लोग हमारे साथ वफ़ा से रहे

कुछ लोग हमारे साथ वफ़ा से रहे
फिर भी बेवफा से रहे 
~
चिराग ने जलाया हैं घर मेरा 
फिर क्यों दुश्मनी हवा से रहे 
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खुद ही मोहब्बत का रोग हमने पाला हैं
फिर क्यों गिला महबूब से रहे 
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हजारों ज़ुल्मो-सितम दिए हैं मुझे खुदा ने
फिर क्यों खफा दुआ से रहे !
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ज़िन्दगी ने पल-पल पर मेरा साथ छोड़ा हैं रोमिल
फिर क्यों उम्मीद मौत से रहे!

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