बड़े याद आते हैं तेरे जनाज़े के फूल
मेरी मजबूरियों के फूल
तेरी बेरुखी के फूल...
*
हर कोई देखता हैं मुझे हैरत से
लगता हैं तुमने आसमान में फैला दिए हैं
हमारी मोहब्बत के फूल...
*
उधर तुम भी बेचैन
इधर हम भी बेचैन
चारों तरफ फ़ैले हैं अपनी बेक़रारी के फूल...
*
सूख गए हैं, कहो किससे कहे
आज भी किताबों में रखे हैं
तूझे देने को फूल...
*
गुज़र गया वो ज़माना रोमिल
जब हम भी दीवाना हुआ करते थे
दिल से लगाये रहते थे तेरे लिखे खतों के फूल...
*
बड़े याद आते हैं तेरे जनाज़े के फूल
मेरी मजबूरियों के फूल
तेरी बेरुखी के फूल...
मेरी मजबूरियों के फूल
तेरी बेरुखी के फूल...
*
हर कोई देखता हैं मुझे हैरत से
लगता हैं तुमने आसमान में फैला दिए हैं
हमारी मोहब्बत के फूल...
*
उधर तुम भी बेचैन
इधर हम भी बेचैन
चारों तरफ फ़ैले हैं अपनी बेक़रारी के फूल...
*
सूख गए हैं, कहो किससे कहे
आज भी किताबों में रखे हैं
तूझे देने को फूल...
*
गुज़र गया वो ज़माना रोमिल
जब हम भी दीवाना हुआ करते थे
दिल से लगाये रहते थे तेरे लिखे खतों के फूल...
*
बड़े याद आते हैं तेरे जनाज़े के फूल
मेरी मजबूरियों के फूल
तेरी बेरुखी के फूल...
#रोमिल
No comments:
Post a Comment