Thursday, December 29, 2011

न जाने कहाँ है मेरा आशियाना

न जाने कहाँ है मेरा आशियाना,
मेरी दुनिया,
मेरा ठिकाना!
~
न कोई मंजिल, न कोई रास्ता है पता,
जाना मुझे कहाँ न इसका पता,
कोई अपना न कोई पराया,
बस पीछे छोड़ते जाना मुझे कदमों के निशाँ!
न जाने कहाँ है मेरा आशियाना,
मेरी दुनिया,
मेरा ठिकाना!
~
कोई न पुकारे मुझे,
न कोई रोके मुझे,
धीमे-धीमे, हल्के-हल्के,
चलते जाना है मुझे वहाँ,
जहाँ मेरा आशियाना,
मेरी दुनिया,
मेरा ठिकाना!
हो... हो
हो... हो
~
अब मुझे फुरसत कहाँ,
अब मुझे चैन कहाँ,
न कोइए दोस्त,
न कोइए हमदम,
बस
चलते जाना है मुझे वहाँ,
रोमिल, जहाँ मेरा आशियाना,
मेरी दुनिया,
मेरा ठिकाना!
हो... हो
हो... हो

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