Friday, December 30, 2011

यादों में चिराग-ए-दिल जलता रहा सारी रात

यादों में चिराग-ए-दिल जलता रहा सारी रात
हम वजह-ए-तन्हाई किसी को बता न सके...
~*~
फैसला-ए-इश्क हमको मंज़ूर था उनका
हम टूटे हुए खवाब किसी को दिखा न सके...
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दामन-ए-यार की आरज़ू थी अपनी
हम जला हुआ हाथ छुपा न सके...
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आरज़ू थी की उनकी नज़रों के नूर बने
हम अपने आंसू बहने से बचा न सके...
~*~
यादों में चिराग-ए-दिल जलता रहा सारी रात
रोमिल, हम वजह-ए-तन्हाई किसी को बता न सके...

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